सेहत के लिए अति आवश्यक है प्रकृति से तालमेल बनाए रखना
कुछ दशक पहले तक जब व्यक्ति के जीवन में खानपान हेतु वर्तमान की तरह अनेक प्रकार के पकवान प्रचलित नहीं थे तब आदमी आज से अधिक स्वस्थ्य और सबल था। परन्तु आज मानव के पास विज्ञान प्रमाणित अनेकोनेक प्रकार की खाद्य सामग्री (व्यंजन) मौजूद होने के बाबजूद जिसे देखो वही विमार है शक्ति तो जैसे बची ही नहीं है। थोड़ा बहुत कार्य करना पड़ जाय या 10-12 किलोमीटर पैदल चलना पड़ जाय तो थकान के मारे हाय तौबा।
जबकी जीवन के सभी सुख स्वास्थ्य के ही आधीन होते हैं। एक स्वस्थ्य व्यक्ति ही सुखपुर्वक जीवन के सभी आबश्यक कार्यो को संपादित कर सकता है परन्तु आज का बुद्धिजीवी मनुष्य खाद्य-अखाद्य कुछ भी अनाप-शनाप उदरस्थ (खाने की) करने की प्रवृत्ति रखे बैठा हैं और उत्तम स्वास्थ्य को खो बैठा है।
अनेक व्याधियाँ अनेक चिकित्सा विधाओं के ज्ञाता वैद्य चिकित्सक एवं विभिन्न सुसज्जित अस्पताल या स्वास्थ्य केन्द्र मानव समाज में ही देखे सुने जाते है। जबकि पशु-पक्षी इन व्याधियों एवं उनके उपचार से कोई वास्ता ही नहीं रखते हैं। कुछ पशु-पक्षी जो कभी अस्वस्थ्य या अकाल मृत्यु के मुख्य में जाते है देखे भी जाते हैं वो वह भी प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से मनुष्य के कर्मो का ही परिणाम भोगते हैं। अन्यथा निरीह मूक प्राणी मनुष्य की अपेक्षा पथ्यापथ का विषेष ध्यान रखते हैं।
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मानव ही प्रकृति प्रद्त खाद्य उपदार्थो को जीभ के चटोरेपन एवं स्वाद लोलुपता के कारण अनेकानेक तरह से संस्कारित कर (विविध तरह के मसालों तथा खटाई आदि का मिश्रण कर अग्नि पर पकाकर या अपक्वाव्वस्था में) भक्षण (सेवन) करता है।
जबकि प्राकृतिक खाद्य वस्तुओं को इस तरह से संस्कारित कर संवन करने पर हमारी पचनीय शक्ति क्षीण होती जाती है और खाद्य पदार्थो के शक्ति प्रदान करने वाले तत्व भी कम या नष्ट हो जाते हैं।
प्रकृति प्रदत्त खाद्य पदार्थो को विविध तरह से संस्कारित कर (बनाकर) या आहार नियमों की अवहेलना कर सेवन करने से हमारी पाचन शक्ति दुर्बल सेवन करने से हमारी पाचन शक्ति दुर्बल पड़कर अनेक व्याधियों की जन्मदात्री बन जाती हैं। कुपथ्य (हानिकर खाद्य सामग्री) सेवन से जो हानियाँ होंती हैं उनका सहज में अनुमान कर पाना मुशिकल होता है क्योंकि उनका दुष्प्रभाव तत्काल ना पड़कर कालान्तर में (कुछ समय बाद) पड़ता है।
मनूष्य के लिए प्रकृति प्रदत्त मुख्य खाद्य पदार्थ फल फूल साग-सब्जी कंद-मूल एवं दुग्ध आदि है। उनमें भी जो सुमधुर एवं पाचन तंत्र के लिए उत्तेजक ना हों। साथ ही पके हुये एवं ताजे हों। भूख लगने पर स्वस्थ्य शरीर की मूल प्रवृति भी इन्हीं वस्तुओं की ओर अधिक होती है। ऐसा आहार शीघ्र पआ पच भी जाता है और जीवनीय शक्ति प्रदान करता है।
चिकित्सीय द्र्श्य शेष्ट से यह आवश्यक है कि हमारी भोजन काफी मात्रा में हों साथ ही सभी तत्व संतुलित मात्रा में हों। द्रव्यों को कम से कम संस्कारित किया जाय क्योंकि प्रकृति प्रदत्त खाद्य पदार्थ मूल रूप में अधिक लाभकारी होतें हैं।
दूध से मक्खन या क्रीम आदि निकालकर सेवन करने पर उसकी जीवनीय शक्ति अल्प हो जाती है। इसी तरह दूध को अधिक उबालने पर उसके जीवनीय तत्व नष्ट हो जाते हैं। आलू के अधिकांश व्यंजन छिलका उतारकर बनाये जाते हैं जिससे उसके अधिकांश जीवनीय तत्व व्यर्थ ही चले जाते हैं। ताजे टूटे हुये फलों का सेवन अधिक लाभ दायक होता है क्योंकि वे सूर्य ताप के प्रभाव से हानिकारक जीवाणुओं से रहित होते हैं। कई दिनों पहले तोड़े हुये अथवा भूसा आदि के द्वारा पकाये हुये फलों की गुणवत्ता कम हो जाती है। कभी वह लाभ के स्थान पर हानिकारक भी हो सकते हैं। जो फल छिलके सहित खाये जा सकें उन्हें भलि भांति गर्म पानी से धोकर छिलके सहित सेवन करना चाहिये ताकि उनमें स्थित विटामिन्स एवं लाभकारी तत्वों का पूर्ण लाभ मिल सके।
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ऋतु में उत्पन्न होने वाले साग-सब्जी फल तथा अन्नादि उसी ऋतु में सेवन करने से जहाँ उत्तम पोषक एवं स्वास्थ्यकारी होते हैं वहीं ऋतु विपरीत असमय में पैदा किये जाने वाले फलों का सेवन शरीर दमें वात-पित्त एवं कफ का अंसतुलन पैदा कर रोगकारी हो जाता है। शरीर एवं खाद्य वस्तुओं का ऋतुओं से घनिष्ट सम्बन्ध होता है। शरीर में ऋतु अनुसार वात-वित एवं कफ दोष का संचय (एकात्रित होना) प्रकोप (रोगकारी होना) तथा शमन (शात होकर साम्यावस्था में आना) होता है। उसी के अनुरूप प्रकृति में साग-सब्जी फल-फूल अन्नादि का उत्पादन होता है। अतः जिस ऋतु में जो खाद्य पदार्थ उत्पन्न होते हैं उनका सेवन उसी अनुसार करना चाहिए। इससे शरीर बलिष्ठ एवं रोगरहित बना रहता है।
इसी तरह जिस ऋतु मे जो प्राकृत रोग उत्पन्न होते हैं उनके उसी ऋतु में उत्पन्न होने वाली जड़ी-बूटियों तथा प्राकृतिक खाद्य पदार्थो के द्वारा ठीक किया जा सकता हैं।
जैसे लू लगने के समय ग्रीष्म ऋतु में कच्चे आम एवं प्याज का पैदा होना प्रकृति का एक सुन्दर संयोजन है। प्रकार जिस ऋतु में जो-जो प्राकृत रोग उत्पन्न होते है। उनसे बचाने तथा उपचार हेतु उस ऋतु में प्रायः वही खाद्यान साग-सब्जी एवं फलों की उत्पत्ति होती है जो उन्हें नष्ट करने के गुण रखते हैं।
इसमें तनिक भी संदेह नहीं कि यदि हम ऋतु अनुसार खाद्य द्रव्यों का चयन एवं सेवन करें तो हम पूर्ण स्वस्थ्य आयु व्यतीत कर सकते हैं।
लेखक का आपसे आग्रह
प्रिय पाठकों ये सारे लेख लेखक सागर ने आप
की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर ही लिखी हैं कि आपके मन में किस-किस प्रकार की
जिज्ञासायें होती हैं क्योंकि हम लोगों का एक अपना ही संसार होता है लेखक ने इस
लेख में इसी को ध्यान में रखकर हम सभी की मनोभावना को समझकर ही इस लेख को तैयार
किया है जिससे हमारी भवनायें हमारे लिये अपनी भाषा में प्रस्तुत कर सके जिससे सभी
को ये लेख पढ़कर आनंद आये।
लेख की जानकारी
दोस्तों इस पोस्ट में हमने आपके समक्ष खुद अपने विचारों से लिखी कुछ लेख का संग्रह प्रस्तुत किया है इसमें सभी प्रकार की भावनाओं से ओत-प्रोत हस्त लिखित लेख को सामिल किया गया है हमे उम्मीद है कि आपको ये संग्रह काफी पसंद आयेगा।
लेखक ने बहुत सारी लेख का संग्रह आपके समक्ष प्रस्तुत किया है जो इसी बेवसाईट पर नीचे रीड मोर आपशन पर आपको मिल जायेंगे सांथ ही लेखक निरंतर आपके लिये लेख लिख भी रहा है जो आगामी समय में आपको इसी व्लाग पर प्राप्त हो सकेंगे।
यदि आपको हमारी ये हस्त लिखित लेख का संग्रह पसंद आये तो हमें जरूर बतायें जिससे हमारा मनोवल बड़ता रहे और हम आपके समक्ष इसी प्रकार का संग्रह बनाते रहें।
हमारे द्वारा लिखे कुछ लेख के अंश प्रस्तुत हैं अगर इसी तरह आपका प्यार हमें मिलता रहा तो ये संग्रह यूं ही निरंतर बड़ता रहेगा इसलिये जरूर पढ़ें ओर हमारा मनोवल यूं ही बड़ाते रहें।
लेखक का वाक्य :-
दोस्तों इस लेख लेखक ने सेहत के लिए अति आवश्यक है प्रकृति से तालमेल बनाए रखना के बारे में बताया है जो उसे बड़े ही सहज और सरलता पूर्वक हम सभी को समझ आने वाली भाषा में वर्णन किया है।
हम आपको ये बताना चाहते हैं कि इस लेख में लेखक ने अपनी लेखन द्वारा अपने सभी भाव इस लेख के रूप में व्यक्त करने की कोशिश कर की है, सांथ हमें लेख के बारे में बड़े ही सहज भाव से अपनी बात रखने की कोशिश की है जो काफी काबिले तारीफ है।
लेख जो इस व्लाग में लिखे गये हैं :-
सेहत के लिए अति आवश्यक है
प्रकृति से तालमेल बनाए रखना, रखें सावधानी!
हो सकता है आपको वजन पर भारी आदि।
आगामी भी आपके समक्ष जल्द ही इस
व्लाग में मिलेगी थोड़ा इंत्जार करे।
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