लगातार रो रहा है बच्चा तो समझें इशारे
(छोटे बच्चे का लगातार रोने का कारण)
एकल परिवारों और खासकर उन परिवारों में जहां माता-पिता दोनों कामकजी हैं, वहां बच्चो की परवरिश करना माता पिता के लिए किसी चुनोती से कम नही होता! ऐशे में बच्चो के जरा से रोने पर भी माता-पिता परेशान हो उठते हैं और सीधे डाक्टर के पास भागते हैं! बच्चो कि परवरिश में एक हिस्सा उनकी भावभंगिमा पढना और उनकी जरूरतों कों समझना भी है! शिशु रोग विशेषज्ञ के मतानुसार में आपको बता रहा हुं कि नवजात बच्चे (अधिकतम एक साल तक) कब और क्यो रोते हैं और उनके रोने पर क्या करना चाहिए!
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आधी रात को शिशु अगर लगातार रोए जा रहा है, तो रूवाभाविक है कि घर में सबकी नींद उड़ जाएगी! ऐसे में घवराने
की जरूरत नही है! जन्म के बाद आरम्भ के कुछ दिन शिशु 18 से 20 घंटें सोते हैं उन्हे दिन और रात का भान नही होता! दिन में खूब
नींद ले लेने पर रात में अधिक रो सकते हैं! बच्चे ध्यान आकर्षित करने के लिए ऐसा करते हैं, यह सामान्य सी बात है!
रोने पर सबसे पहलें देखे कि उसने अपना बिस्तर
गीला तो नही किया है नैपी वगैरह भी पहनाई है, तो उसे चैक करें! शिशु
को भूख लगने पर यदि कुछ देर दूध न दिया गया तो भी वह चिड़चिड़े जाते हैं! फिर दूध देने पर भी नही
पीते और तेज चिल्लाते जाते हैं और रोना शुरू कर देते हैं! जन्म से छह माह तक बच्चो को मां के दूध पर ही निर्भर होना
चाहिए! कभी-कभी नवजात बच्चो की आंतो में संकुचन के अहसास से उन्हे हल्का
दर्द होता है! आमतौर पर यह दर्द शाम को या रात को होता है! इस दर्द को हम इवनिंग कॉलिक कहते हैं! ऐसी स्थिति में शिशु को कंधे पर रखने या पेट के बल लिटाने पर कुछ राहत मिलती
है! उसे कुछ देर तक कंधे पर रखकर घुमाएं या पेट के बल कुछ देर सुलाये इससे दर्द में राहत मिलेगी!
ठंड से बचायेँ, पर हद से ज्यादा गर्म कपड़े पहनाना ठीक नहीं...
किसी भी वजह से नींद पुरी न होने पर शिशु चिड़चिड़ा हो सकता है! उसे
आराम दें, जगा जगाकर दूध न पिलाएं जब स्वयं जागे तभी दूध दें ठंड में बच्चो
को बहुत ज्यादा कपड़े न पहनाने और कई कंबल ढक देने के वजाय कम, वजन में हल्के और अपेक्षाकृत रूप से ज्यादा गर्म कपड़े पहनाना
चाहिए! शिशुओं का बीएमआर यानी (बेसल मेटाबालिक रेट) अधिक होता है, जिससे उन्हे गर्मी अधिक लगती है! इसलिए बहुत अधिक
टोपे, मोजे, दस्ताने, जैकेट, रजाई न ओढाएं! ठंड से बचाएं, लेकिन जिस समय जो अनुपात है, बच्चो को भी वैसे ही कपड़े पहनाएं! गर्मी और बैचेनी से भी बच्चा
रोता है! अगर बहुत ज्यादा कपड़े पहनाएं है, तो रोने पर उसे खुली हवा में ले जाए जायेँ! ठंड के दिनो में सुबह-शाम खुली हवा में ले जाने से बचें! कभी-कभार चींटी वगैरह के काटने से भी बच्चे रोते हैं, इसके निशान शिशु की कोमल त्वचा पर साफ दिख जाते हैं!
तीन घंटे से ज्यादा रो रहा है तो डॉक्टर को दिखाएं.....
शिशु का लगातार चीख-चीखकर तीन घंटे से अधिक रोना मस्तिष्क में संक्रमण या मैनिंगजाइटिस का लक्षण हो सकता है! अगर बच्चा शांत हो रहा है, तो डाक्टर से मिलें! वैसे यह लक्षण रेयर हैं, लेकिन इसे नजरअंदाज नही करना चाहिए! कुछ मामलों में खासकर छह माह से ज्यादा उम्र के बच्चो में रोने का यह एक कारण कानों में मैल, फंगल, इन्फेक्शन या बैक्टीरियल इन्फेक्शन भी हो सकता है! हालांकि बहुत छोटे बच्चो में कान दर्द की आशंका कम ही होती है इस दौरान बच्चो के कानो में तेल वगैरह बिलकुल न डाले!पैरासिटामॉल ड्रॉप्स दे सकते हैं!
बच्चों के अत्यधिक रोने पर पैरासिटामॉल ड्रॉप्स दी जा सकती है! आपको समझ
नही आ रहा है कि बच्चा क्यों रों रहा है, तब भी यह दवा दी जा सकती है! ड्रॉप्स सुरक्षित होते हैं और बिना चिकित्सकीय पर्चे
के मिल जाते हैं! पैरासिटामॉल ड्रॉप्स अनेक ब्रांड नाम जैसे calpol, crocin, drops, T98 इत्यादि के नाम से आती हैं शिशु अगर तीन किलो का है तो 0.3 एम.एल. और पाँच किलो का है, तो उसे 0.5 एम.एल. दवा दी जा सकती है!
मतलब वजन हो उसके पहलें दशमलव लगा लें! ख्याल रखे कि पैरासिटामॉल हमेशा नही, कभी-कभी आपातकालीन स्थिति में ही देनी चाहिए! बच्चा
अगर आसामान्य रूप से रो रहा है, तो डॅाक्टर से जरूर मिलें!
लेखक का आपसे आग्रह
प्रिय
पाठकों ये सारे लेख लेखक सागर ने आप की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर ही लिखी
हैं कि आपके मन में किस-किस प्रकार की जिज्ञासायें होती हैं क्योंकि हम लोगों का
एक अपना ही संसार होता है लेखक ने इस लेख में इसी को ध्यान में रखकर हम सभी की
मनोभावना को समझकर ही इस लेख को तैयार किया है जिससे हमारी भवनायें हमारे लिये
अपनी भाषा में प्रस्तुत कर सके जिससे सभी को ये लेख पढ़कर आनंद आये।
लेख की
जानकारी
दोस्तों
इस पोस्ट में हमने आपके समक्ष खुद अपने विचारों से लिखी कुछ लेख का संग्रह प्रस्तुत
किया है इसमें सभी प्रकार की भावनाओं से ओत-प्रोत हस्त लिखित लेख को सामिल किया
गया है हमे उम्मीद है कि आपको ये संग्रह काफी पसंद आयेगा।
लेखक ने
बहुत सारी लेख का संग्रह आपके समक्ष प्रस्तुत किया है जो इसी बेवसाईट पर नीचे रीड
मोर आपशन पर आपको मिल जायेंगे सांथ ही लेखक निरंतर आपके लिये लेख लिख भी रहा है
जो आगामी समय में आपको इसी व्लाग पर प्राप्त हो सकेंगे।
यदि आपको
हमारी ये हस्त लिखित लेख का संग्रह पसंद आये तो हमें जरूर बतायें जिससे हमारा
मनोवल बड़ता रहे और हम आपके समक्ष इसी प्रकार का संग्रह बनाते रहें।
हमारे
द्वारा लिखे कुछ लेख के अंश प्रस्तुत हैं अगर इसी तरह आपका प्यार हमें मिलता रहा
तो ये संग्रह यूं ही निरंतर बड़ता रहेगा इसलिये जरूर पढ़ें ओर हमारा मनोवल यूं ही
बड़ाते रहें।
लेखक का
वाक्य :-
दोस्तों
इस लेख में लेखक ने के बारे में बताया है जो उसे बड़े ही सहज और सरलता पूर्वक हम
सभी को समझ आने वाली भाषा में वर्णन किया है।
हम आपको ये
बताना चाहते हैं कि इस लेख में लेखक ने अपनी लेखन द्वारा अपने सभी भाव इस लेख के
रूप में व्यक्त करने की कोशिश कर की है, सांथ हमें लेख के बारे में बड़े ही सहज भाव से अपनी बात
रखने की कोशिश की है जो काफी काबिले तारीफ है।
लेख जो इस
व्लाग में लिखे गये हैं :-
सेहत के
लिए अति आवश्यक है प्रकृति से तालमेल बनाए रखना, रखें सावधानी! हो सकता है
आपको वजन पर भारी आदि।
आगामी भी
आपके समक्ष जल्द ही इस व्लाग में मिलेगी थोड़ा इंत्जार करे।
हमारे प्रिय पाठकों!
आप सभी को ये जानकारी कैसी लगी? अपने विचार हमारे साथ कमेंट बॉक्स के माध्यम से साझा करें। आपकी राय हमारे लिए बहुत कीमती है। शुक्रिया !
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Some More Option:-
रखें सावधानी ! हो सकता है आपको वजन पर भारी
सेहत के लिए अति आवश्यक है प्रकृति से तालमेल बनाए रखना
ब्लैक टी पीने के भी हो सकते हैं फायदे।
अक्सर बदलता मौसम पेट लिए आफत बन जाता है!
वायु प्रदुषण को उचित खान-पान से भी कम किया जा सकता है
लगातार रो रहा है बच्चा तो समझें इशारे
खाना खाने के बाद न करें ये कुछ काम
एसिडिटी (पेट में जलन) से मिलेगी जल्द निजात
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