अक्सर बदलता मौसम पेट लिए आफत बन जाता है!
मौसम में बदलाव की सुगबुहाट शुरू हो गई है! मौसम बदलने से सर्दी, खाँसी के अलाबा सबसे ज्यादा दिक्कत पाचन तंत्र की होती है, जिससे पेट संबंधी कई तरह की समस्याएं होने लगती हैं! पाचन तंत्र में कई तरह के अच्छे वैक्टीरिया काम करते हैं जो एक-दुसरे के साथ मिलकर संतुलन बनाएं रखते हैं! जब तक यह संतुलन बना रहता है, तब तक पाचन तंत्र भी अच्छी तरह काम करता है! लेकिन इसमें असंतुलन होते ही पेट खराब हो जाता है! मौसम में परिवर्तन होने पर इन वैक्टीरिया का भी संतुलन बिगड़ जाता है! मौसम के अलावा भी वैक्टीरिया के संतुलन को बिगाड़ने में कई कारक जिम्मेदार होतें हैं! कुछ प्रमुख इस तरह हैं:-1. प्रसंस्करित खाद्य सामग्रीः-
प्रसंस्करित खाद्य सामग्री यानी डिब्बाबंद भोजन
को सुरक्षित रखने के लिए कई तरह के प्रीजर्वेटिक्स और एडिटिव्स इस्तेमानल किए जाते
हैं जो पाचन तंत्र के बेक्टीरिया
को विचलित कर देते हैं! इससे पेट खराब हो जाता है! इसलिए इस तरह के खाने को यथासंभव
नजरअंदाज करें!
2. दूध का ज्यादा सेवनः-
इससे भी पेट में उपस्थित बैक्टीरिया का संतुलन
बिगड़ जाता है! इसकी वजह यह है कि पेट में दूध अम्ल (एसिड) उत्पन्न करता है! इसलिए एक
सीमा से ज्यादा दूध पीने पर पेट में एसिड की मात्रा बढ़ जाती है जो अपज के रूप सामने
आ सकती है!
3. एंटीबायोटिक का ओवरडोजः-
ज्यादा और डॉक्टर की सलाह के बगैर एंटीबायोटिक
दवाएं खाने से ये पेट में मौजूद गुड़ बैक्टीरिया को भी नुकसान पहुंचाने लगती हैं! इससे पाचन तंत्र अस्त-व्यस्त हो जाता है! यह कई
बार पेट दर्द और दस्त की समस्या के रूप में सामने आती है!
4. दही का
मठा:-
इनमें ऐसे कई तरह के अच्छे बैक्टीरिया होते हैं जो हमारी रोग-प्रतिरोधक प्रणाली को दुरूस्त
रखते हैं! इनमें लैक्टिक एसिड भी होता है जो पोषक पदार्थो को अवशोषित करने और हमारे पाचन
तंत्र मजबूत बनाने में मदद करता है!
5. केलाः-
इसमें फाइबर्स होते हैं जो पेट में मौजूद अच्छे
बैक्टीरिया के पोषण में मददगार होते हैं और इस तरह पाचन तंत्र को दुरस्त रखते हैं! केला पोटेशियम, मैग्नेशियम का अच्छा स्त्रोत होने की वजह से पेट फुलने की समस्या को
भी दूर रखता है!
6. पपीताः-
इसमें एक्टीनिडिन नामक एंजाइम होता है जो प्रोटीन
के पाचन मे काफी मददगार होता है! यह फाइबर्स का भी अच्छा स्त्रोत होता है! पपीते के
अलावा किवी और पाअनेपल में भी एैटीनिडिन एंजाइम भरपूर मात्रा में होते हैं!
7. चिया के
बीज व अलसीः-
ये प्री,बायोटिक के अच्छे स्त्रोत होते हैं जो गुड़ बैक्टीरिया के पोषण
में मदद करते है! इसके अलावा इनमें लैक्सेटिव (चिकनापन) का गुड़ भी होता है जो
पेट में कब्जियत नही होने देता और पाचन दुरूस्त रखता है!
8. लहसुनः-
किचन के सबसे समान्य मसालों में शामिल लहसुन भी प्री,बायोटिक का अच्छा स्त्रोत होता है! इसमें ऐसे फाइबर्स
भी भरपूर मात्रा में पाए जातें हैं, जो गुड़ बैक्टीरिया के लिए पोषण का काम करते हैं और इस तरह हमारे
पाचन तंत्र को बनाए रखतें है!
9. त्रिफलाः-
इसमें ऐसे एंटीआँक्सीडेंटस भरपूर मात्रा
में होते हैं जो हमारें पाचन तंत्र को मजबुत बनाए रखने में मददगार होते हैं! यह शरीर में मौजूद विषैले पदार्थो
को भी दूर करता है यानी डीटाक्सीफिकेशन प्रोसेस में मदद करता है और इस तरह हमारी पाचन प्रणाली को
हानिकारक बैक्टीरिया से मुक्त रखता है!
10. तुलसीः-
यह बिटामिन ए, सी और बिटामिन ई का अच्छा स्त्रोत होती है जो पाचन
तंत्र में कैल्शियम, आयरन और मैग्नीशियम की पर्याप्त आपूर्ति करने में मदद करती है! इससे यह गैस और
पेट में मरोड़ जैसी पाचन तंत्र संबंधी समस्याओं को दूर करती है!
लेखक का आपसे आग्रह
प्रिय पाठकों ये सारी
कहांनियॉं लेखक सागर ने आप की भावनाओं को ध्याआन में रखकर ही लिखी हैं कि आपके मन
में किस-किस प्रकार की जिज्ञासायें होती हैं क्यों कि हम लोगों का एक अपना ही
संसार होता है लेखक ने इस लेख में इसी को ध्याकन में रखकर हम सभी की मनोभावना को
समझकर ही इस लेख को तैयार किया है जिससे हमारी भवनायें हमारे लिये अपनी भाषा में
प्रस्तुइत कर सके जिससे सभी को ये लेख पढ़कर आनंद आये।
लेख पर जानकारी
दोस्तोंर इस पोस्टभ में हमने आपके समक्ष खुद अपने विचारों से लिखी कुछ लेख का संग्रह प्रस्तुरत किया है इसमें सभी प्रकार की भावनाओं से ओत-प्रोत हस्तल लिखित लेख को सामिल किया गया है हमे उम्मीद है कि आपको ये संग्रह काफी पसंद आयेगा।
लेखक ने बहुत सारी लेख का संग्रह आपके समक्ष प्रस्तुहत किया है जो इसी बेवसाईट पर आपको मिल जायेंगे सांथ ही लेखक निरंतर आपके लिये लेख लिख भी रहा है जो आगामी समय में आपको इसी व्लाग पर प्राप्त हो सकेंगे।
यदि आपको हमारी ये हस्तल लिखित बाल लेख का संग्रह पसंद आये तो हमें जरूर बतायें जिससे हमारा मनोवल बड़ता रहे और हम आपके समक्ष इसी प्रकार का संग्रह बनाते रहें।
हमारे द्वारा लिखे कुछ कहांनिओं के अंश प्रस्तु त हैं अगर इसी तरह आपका प्यार हमें मिलता रहा तो ये संग्रह यूं ही निरंतर बड़ता रहेगा इसलिये जरूर पढ़ें ओर हमारा मनोवल यूं ही बड़ाते रहें।
लेखक का वाक्यं :-
दोस्तोंत इस कहानी में लेखक ने “अक्सर बदलता मौसम पेट लिए आफत बन जाता है” के बारे में बताया है जो उसे बड़े ही सहज और सरलता पूर्वक हम सभी को समझ आने वाली भाषा में में वर्णन किया है।
हम आपको ये बताना चाहते हैं
कि इस लेख में लेखक ने अपनी लेख द्वारा अपने सभी भाव इस कहानी के रूप में व्यूक्तस
करने की कोशिश कर की है, सांथ हमें कहानी के बारे में
बड़े ही सहज भाव से अपनी बात रखने की कोशिश की है जो काफी काबिले तारीफ है।
जो
इस व्लाग में लिखी गई हैं :-
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