Raksha bandhan | What is Raksha bandhan | रक्षाबंधन कब और क्यों मनाया जाता है | रक्षाबंधन का इतिहास और महत्व

Raksha bandhan | What is Raksha bandhan | रक्षाबंधन कब और क्यों मनाया जाता है | रक्षाबंधन का इतिहास और महत्व  

रक्षाबंधन कब और क्यों मनाया जाता है

रक्षाबंधन हिंदुओं का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो भारत के कई हिस्सों में मनाया जाता है। भारत के अलावा जहां भी हिंदू धर्म के लोग रहते हैं, यह भाई-बहन के द्वारा मनाया जाता है। इस त्यौहार का पुराने आध्यात्मिक महत्व के साथ-साथ इसका ऐतिहासिक महत्व भी है।

भाई-बहन के अटूट प्रेम को समर्पित रक्षाबंधन का त्योहार आज पूरे देश में धूमधाम से मनाया जा रहा है। सुबह से ही सड़कों पर राखी बंधवाए भाई और राखियां और मिठाई लेकर भाइयों के घर जाती बहनों की चहल-पहल है। लेकिन इस त्योहार की शुरुआत सगे भाई-बहनों ने नहीं की थी। रक्षाबंधन कब शुरू हुआ, इसे लेकर कोई तारीख तो स्पष्ट नहीं है लेकिन माना जाता है कि इस पर्व की शुरुआत सतयुग में हुई थी।

Raksha bandhan | What is Raksha bandhan | रक्षाबंधन कब और क्यों मनाया जाता है | रक्षाबंधन का इतिहास और महत्व
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रक्षाबंधन कब मनाया जाता है

भाई-बहन का यह त्योहार हर साल मनाया जाता है, जो हिंदू कैलेंडर के अनुसार श्रावण माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है, जो अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार ज्यादातर अगस्त महीने में आता है। यह एक धार्मिक त्यौहार है जिस पर छुट्टी दी जाती है।

 रक्षाबंधन के त्यौहार का महत्व

रक्षाबंधन भाई-बहन के द्वारा मनाया जाने वाला त्योहार है। इस दिन बहनें अपने भाइयों को रक्षा सूत्र (राखी) बांधती हैं और भाई अपनी बहनों को जीवन भर रक्षा करने का वचन देते हैं। इस त्योहार के दिन सभी भाई-बहन एक साथ मिलकर भगवान की पूजा करके ओर  आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

रक्षाबंधन का इतिहास क्या है?

विश्व इतिहास में रक्षाबंधन का भी बहुत महत्व रहा है। रक्षाबंधन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण घटनाओं का वर्णन नीचे किया जा रहा है।

राजा बलि और लक्ष्मी मां ने भाई-बहन को राखी बांधने की शुरुआत की

राजा बलि बहुत दानी राजा थे और भगवान विष्णु के अनन्य भक्त भी थे। एक बार उन्होंने एक यज्ञ का आयोजन किया। इसी बीच उनकी परीक्षा लेने के लिए भगवान विष्णु वामनावतार लेकर आए और राजा बलि से तीन पग भूमि दान में मांगी। लेकिन उन्होंने दो पग में ही सारी धरती और आकाश नाप लिया. इस पर राजा बलि समझ गये कि भगवान उनकी परीक्षा ले रहे हैं। तीसरे पग के लिए उन्होंने भगवान के चरणों को अपने सिर पर रखवाया। तब उसने भगवान से प्रार्थना की कि हे प्रभु अब मेरा सब कुछ चला गया है, आप मेरी विनती स्वीकार करें और पाताल लोक में मेरे साथ रहें। भगवान ने भक्त की बात मान ली और वैकुण्ठ छोड़कर पाताल चले गये।

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जब माता लक्ष्मी को पताचला तो वह रूठ गईं। तब माता लक्मी ने एक लीला रची और एक गरीब स्त्री का रूप रखकर वह  राजा बलि के पास पहुंची और माता लक्ष्‍मी ने राजा बलि को राखी बांधी। तब माता लक्ष्‍मी से राजा बलि ने कहा कि  मेरे पास आपको देने के लिए कुछ नहीं बचा है जो में आपको दे सकूं  तो माता लक्ष्मी अपने लक्ष्‍मी रूप में आईं और बोलीं कि आपके पास तो भगवान विष्‍णु हैं, मुझे तो बस वही चाहिए और मैं उन्हें ही लेने आई हूं। तो राजा बलि ने भगवान विष्णु को माता लक्ष्मी के साथ जाने की अनुमति दे दी। ओर वैकुन्‍ड जाते समय भगवान विष्णु ने राजा बलि को वरदान दिया कि वह हर वर्ष चार माह पाताल में निवास करेंगे। तब यह चार महीना चातुर्मास के नाम से जाने जाते हैं जो देवशयनी एकादशी से देवउठनी एकादशी तक होता है।

द्रौपदी और कृष्ण का रक्षाबंधन

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राखी से जुड़ी एक सुंदर घटना का उल्लेख महाभारत में मिलता है। खूबसूरत इसलिए क्योंकि ये घटना बताती है कि भाई-बहन के स्नेह के लिए उनका करीब होना जरूरी नहीं है. किंवदंती है कि जब युधिष्ठिर इंद्रप्रस्थ में राजसूय यज्ञ कर रहे थे, तब शिशुपाल भी सभा में उपस्थित था। जब शिशुपाल ने भगवान श्रीकृष्ण का घोर अपमान करना प्रारंभ  कर दिया तो फिर भगवान श्रीकृष्ण ने अपने सुदर्शन चक्र से शिशुपाल का सर काट दिया इस प्रकार शिशुपाल का कर दिया। और लौटते समय सुदर्शन चक्र से भगवान श्री कृष्‍ण की उंगली गई और उससे रक्त(खून) बहने लगा। यह देखकर द्रौपदी आगे आईं और फिर द्रौपदी अपनी साड़ी का पल्लू फाड़कर भगवान श्री कृष्ण की उंगली पर बांध दिया तो उसी समय भगवान श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को वचन दिया कि वे इस एक-एक धागे का कर्ज चुकाएंगे। फिर इसके बाद जब कौरवों ने द्रौपदी का चीरहरण करने का प्रयास किया तो श्रीकृष्ण ने चीर बढ़ाकर द्रौपदी की लाज रखी। तब से कहा जाता है कि जिस दिन द्रौपदी ने श्री कृष्ण की कलाई पर साड़ी का पल्लू बांधा था वह श्रावण पूर्णिमा का दिन था।

युधिष्ठिर ने अपने सैनिकों को राखी बांधी।

राखी की एक और कहानी यह भी है कि महाभारत के युद्ध में पांडवों को जीत दिलाने में रक्षासूत्र का बड़ायोगदान था। महाभारत युद्ध के दौरान युधिष्ठिर ने भगवान कृष्ण से पूछा कि हे कान्हा, मैं सभी संकटों को कैसे दूर कर सकता हूं? कोई उपाय बताओ. तब श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर से अपने सभी सैनिकों को रक्षासूत्र बांधने को कहा। इससे उनकी जीत सुनिश्चित हो जायेगी. युधिष्ठिर ने वैसा ही किया और विजयी हुए। यह घटना भी सावन माह की पूर्णिमा तिथि को घटित हुई मानी जाती है। तभी से इस दिन पवित्र रक्षासूत्र बांधा जाता है। इसलिए इस दिन सैनिकों को राखी बांधी जाती है।

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पत्नी शची ने भगवान इंद्र को राखी बांधी थी

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भविष्य पुराण में कथा है कि वृत्रासुर से युद्ध में देवराज इंद्र की रक्षा के लिए इंद्राणी शचि ने अपने तपोबल से रक्षासूत्र तैयार किया और फिर वह रक्षासूत्र श्रावण पूर्णिमा के दिन भगवानइंद्र की कलाई पर बांध दिया। इस रक्षासूत्र ने देवराज की रक्षा की और वे युद्ध में विजयी हो गये। यह  सारी घटना भी सतयुग में घटी थी।

राखी की भी एक कहानी है

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सिकंदर पूरी दुनिया को जीतने के लिए निकला और भारत पहुंच गया। यहां उनका सामना भारतीय राजा पुरु से हुआ। राजा पुरु बहुत ही वीर और बलशाली राजा थे, उन्होंने सिकंदर को युद्ध में हरा दिया था। इसी बीच सिकंदर की पत्नी को भारतीय त्यौहार रक्षाबंधन के बारे में पता चला। तब उसने अपने पति सिकंदर की जान बचाने के लिए राजा पुरु को राखी भेजी।

संतोषी माँ से जुड़े मिथक:

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भगवान विष्णु के दो पुत्र थे शुभ और लाभ। इन दोनों भाइयों को एक बहन की बहुत याद आती थी, क्योंकि अपनी बहन के बिना वे रक्षाबंधन नहीं मना पाते थे. इन दोनों भाइयों ने भगवान गणेश से एक बहन की मांग की। कुछ समय बाद नारद जी ने भी गणेश जी को पुत्री के बारे में बताया। भगवान गणेश इस पर सहमत हुए और एक पुत्री की कामना की। माता संतोषी भगवान गणेश की दो पत्नियों रिद्धि और सिद्धि के दिव्य प्रकाश से प्रकट हुईं। इसके बाद हम मां संतोषी के साथ रक्षाबंधन का शुभ त्योहार मना सकते हैं।

यम और यमुना से संबंधित मिथक:

एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार, जब मृत्यु के देवता यम 12 वर्षों तक अपनी बहन यमुना से मिलने नहीं आये, तो यमुना को दुःख हुआ और उन्होंने माँ गंगा से इस बारे में बात की। गंगा ने यम को यह सूचना दी कि यमुना उनकी प्रतीक्षा कर रही है। इस पर यम युमना से मिलने आये। यम को देखकर यमुना बहुत प्रसन्न हुई और उनके लिए तरह-तरह के व्यंजन भी बनाए। यम इससे बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने यमुना से कहा कि वह जो चाहे वरदान मांग सकती है। इस पर यमुना ने उनसे वरदान मांगा कि यम शीघ्र ही उनकी बहन के पास वापस आ जाएं। यम अपनी बहन के प्यार और स्नेह से अभिभूत हो गए और उन्होंने यमुना को अमरता का वरदान दिया। भाई-बहन के इस प्यार को रक्षाबंधन के हवाले से भी याद किया जाता है.

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रानी कर्णावती और हुमायूँ:

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एक अन्य ऐतिहासिक गाथा के अनुसार इसका संबंध रानी कर्णावती और मुगल शासक हुमायूं से है। 1535 के आसपास की इस घटना में, जब चित्तौड़ की रानी को लगा कि उसका साम्राज्य गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह से नहीं बचाया जा सकता है, तो उसने हुमायूँ को राखी भेजी, जो पहले चित्तौड़ का दुश्मन था, और एक बहन के रूप में मदद मांगी, हालाँकि, कई बड़े-बड़े इतिहासकार इस बात से सहमत नहीं हैं, जबकि कुछ लोग इस राखी घटना का हवाला देकर पहले की हिंदू-मुस्लिम एकता की बात करते हैं.

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1905 का बंग भंग और रवीन्द्रनाथ टैगोर:

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जिस समय अंग्रेज भारत में अपनी सत्ता कायम रखने के लिए 'फूट डालो और राज करो' की नीति अपना रहे थे, उस समय रवीन्द्रनाथ टैगोर ने लोगों की एकता के लिए रक्षाबंधन का त्योहार मनाया। वर्ष 1905 में बंगाल की एकता को देखते हुए ब्रिटिश सरकार बंगाल को विभाजित करने और हिंदू और मुसलमानों के बीच सांप्रदायिक विभाजन पैदा करने की कोशिश करती रही। इस समय, रवीन्द्रनाथ टैगोर ने बंगाल में हिंदू-मुस्लिम एकता बनाए रखने और पूरे देश में एकता का संदेश फैलाने के लिए रक्षा बंधन का त्योहार मनाना शुरू किया।

सिखों का इतिहास:

लगभग 18वीं शताब्दी के दौरान सिख खालसा सेना के अरविंद सिंह ने राखी नामक एक प्रथा की शुरुआत की जिसके अनुसार सिख किसान अपनी उपज का एक छोटा हिस्सा मुस्लिम सेना को देंगे और बदले में मुस्लिम सेना उन पर हमला नहीं करेगी।

सिख साम्राज्य की स्थापना करने वाले महाराजा रणजीत सिंह की पत्नी महारानी जिंदन ने एक बार नेपाल के राजा को राखी भेजी थी। हालाँकि नेपाल के राजा ने उनकी राखी स्वीकार कर ली, लेकिन उसे नेपाल के हिंदू राज्य को देने से इनकार कर दिया।

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रक्षाबंधन कैसे मनाया जाता है या कैसे मनाएं

अगर इसे सही मायनों में मनाना है तो सबसे पहले लेन-देन का चलन खत्म करना होगा। इसके साथ ही बहनों को यह सीख देनी चाहिए कि उनके भाई को हर महिला का सम्मान करना चाहिए। जरूरी है कि व्यावहारिक ज्ञान और परंपरा बढ़े, तभी समाज ऐसे गंदे अपराधों से दूर हो सकेगा।

रक्षाबंधन के इस त्यौहारको मनाना हम सभी के हाथ में है और आज के युवाओं को इस दिशा में पहला कदम उठाने की जरूरत है। इसे व्यवसाय न बनाएं, उत्सव बनने दें। जरूरत के हिसाब से अपनी बहन की मदद करना सही है, लेकिन बहन को भी ये सोचने की जरूरत है कि प्यार सिर्फ गिफ्ट या पैसों पर निर्भर नहीं होता. इन सबके ऊपर जब यह त्योहार आएगा तो इसकी खूबसूरती और भी निखर जाएगी।

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लगभग कई कई जगह हैं ऐंसी भी हैं जहां पर पत्नि अपने पति को राखी बांधती हैं। और पति अपनी पत्नी की रक्षा करने का वचन देता है। सही मायनों में कहा जाये तो यह त्यौहार महिलाओं के प्रति सुरक्षा की भावना को बढ़ाने के लिए बनाया गया है। समाज में महिलाओं की स्थिति बहुतगंभीर है क्योंकि यह त्यौहार अपने मूल अस्तित्व से दूर होता जा रहा है। इस त्यौहार के सही अर्थ को समझना और अपने आस-पास के सभी लोगों को समझाना आवश्यक है। अपने बच्चों को इस लेन-देन से हटकर इस त्योहार की परंपरा समझाएं, तभी यह त्योहार भविष्य में अपने ऐतिहासिक उद्गम को प्राप्त कर पाएगा।

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रक्षा बंधन तथ्य! रक्षाबंधन त्यौहार से जुड़े रोचक और रोचक तथ्य

रक्षाबंधन भारत में मनाए जाने वाले प्रमुख त्योहारों में से एक है, जो भाई-बहन के अटूट प्रेम का भी त्योहार है। रक्षा बंधन नाम से ही इस त्योहार के उत्सव का पता चलता है, जिसका अर्थ है - एक बंधन जो सुरक्षा का है, यानी इस त्योहार के दिन बहन अपने भाई की कलाई पर एक धागा बांधती है, जिसे राखी के नाम से भी जाना जाता है। और इस धागे के बदले में भाई बहन की रक्षा करने के लिए हर दुख-दर्द में बहन के साथ खड़ा रहने का वचन देता है।

जी हां दोस्तों आज का यह आर्टिकल इसी महत्वपूर्ण त्योहार से संबंधित है जिसे हम रक्षाबंधन के नाम से जानते हैं, आज हम आपको रक्षाबंधन से जुड़े वो सभी रोचक तथ्य बताने जा रहे हैं जो आपने आज से पहले कहीं न कहीं पढ़े होंगे।

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कुछ रोचक तथ्‍य जो रक्षाबंधन से जुड़े हैं :-

1. रक्षाबंधन को राखी के त्योहार के नाम से भी जाना जाता है और यह त्योहार हिंदुओं का एक प्रसिद्ध त्योहार है।

2. यह हिंदू कैलेंडर के अनुसार श्रावण माह की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है।

3. रक्षाबंधन सावन का आखिरी दिन होता है इसीलिए इसे श्रावणी (सावनी) या सलोनो भी कहा जाता है।

4. यह त्‍योहार पूरे भारत में बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है।

5. रक्षाबंधन का यह त्‍योहर हमारे देश भारत के अलावा नेपाल और मॉरीशस में भी मनाया जाता है।

6. भाई-बहन का त्योहार रक्षाबंधन बहुत ही पवित्र त्योहार है। जो भाई-बहन को एक सूत्र में बांध कर रखती है और उनमें हमेशा प्यार बनाए रखती है। ,

7. रक्षाबंधन के दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और भाइयों के प्रति अपना प्यार दर्शाती हैं।

8. रक्षाबंधन एक ऐसा त्योहार है जो भाई-बहन का ही त्योहार माना जाता है।

9. सच कहें तो रक्षाबंधन सिर्फ हमारे देश का त्योहार नहीं, बल्कि हमारी परंपराओं का प्रतीक है। क्योंकि हमारे देश में इसका बहुत महत्व है.

10. रक्षाबंधन के दिन सभी बहनें अपने-अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं जिससे भाइयों के प्रति उनका स्‍नेह जाहिर होता है कि बहने अपने भाइयों से बेहद प्‍यार करतीं हैं और भाई भी अपना स्‍नेह अपनी बहनों को देते हैं

11. राखी का धागा कच्चे सूत के अलावा रेशम के धागे और सोने-चांदी जैसी महंगी चीजों से भी बनाया जाता है। राखी हमेशा दाहिने हाथ की कलाई पर बांधी जाती है

12. इस दिन बहनें अपने भाई को राखी बांधती हैं और उनकी लंबी उम्र की कामना भी करती हैं।

13. रक्षाबंधन के इस अवसर पर भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं और बहन की रक्षा/सुरक्षा का वचन देते हैं।

14. हमारे देश भी इसके अलाबा कई जगहों पर पेड़ों के साथ-साथ भगवान को भी राखी बांधने की परंपरा है।

15. अमरनाथ की यात्रा गुरु पूर्णिमा पर शुरू होती है और रक्षा बंधन पर समाप्त होती है। मान्यता है कि इस दिन हिमानी शिवलिंग का भी निर्माण होता है।

16. इस रक्षाबंधन (राखी) को भारत की गुरु और शिष्य परंपरा का प्रतीक भी माना जाता है।

17. राखी के दिन भारत में कई जगहों पर बहन भाई के कान पर भुजरियां लगाती है।

18. रक्षाबंधन के त्यौहार को महाराष्ट्र में नारियल पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है।

19. रक्षाबंधन पर राखी, राखी और हथकड़ी, राखी और राइफल, रक्षाबंधन आदि फिल्में बन चुकी हैं।

20. राजस्थान में दीनरामराखी और चूड़ाराखी या लूंबा बांधने की प्रथा है।

21. इस दिन मराठी लोग नदी या समुद्र के किनारे जाकर अपने जनेऊ बदलते हैं और समुद्र की पूजा करते हैं।

22. इस दिन भारत सरकार का डाक विभाग एक विशेष प्रकार का लिफाफा तैयार करता है जिसमें लोग राखी भेजते हैं।

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Milan Tomic

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