वो पंछियों का अशियाना न जाने कहां खो गया


वो पंछियों का अशियाना न जाने कहां खो गया,

वो कलरब क्यों बंद हो गया !

     
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वो सुबह
-शाम कितनी हंसीन या कहें कि सुन्दर हुआ करती थी जब हर रोज सुबह-शाम हमारें गांव या घर कें आस-पास पंछियों कि चहचाह गूंजा करती थी वों सुहाना मौसम देखतें ही बनता था, मानों लगता था कि स्वर्ग अ्रगर कही है तो वो इसी जगह है क्योंकि पंछियों का सुहाना संगीत पूरी सुबह को और शाम दोनो को कई गुना और सुहाना बना देता है!

      यें करीब कुछ समय की ही तो बात है मगर लगता है कि सुने बर्षो बरस गुजरे गये हों आज भी मुझें याद है कि हमारें घर के पास एक नही कई पेड़ थे जिन पर पंछियों का बसेरा हुआ करता था पास एक जिनका कलरब हर सुबह-शाम बड़ा ही सुहाना लगता था मानों कि ऐंसा लगता था कि ये रोज का सुबह-शाम का मौसम संगीतमय हो गया है और उस समय ऐंसा लगता था कि स्वर्ग अगर कहीं है तो बस इन्ही पेड़ो के आस-पास ही है!
बदलता गया समय और कम होते गये पेड़ः-
      और बदलते वक्त ने कुछ ऐसी करबट बदली की समय के साथ-साथ लोगों ने अपनी ऊंची-ऊंची इमारत बनाने लिए या यूं कहें कि खुद का आशियाना बनाने लिए कमजोर पंछियों सें उनका आशियाना ही छीन लिया!

      इंसान की इस तरक्की ने हमारें आस-पास का माहौल किस कदर खराब कर दिया आज ये देखकर देखकर डर सा लगता है कि अभी ये हाल है तो आगें चलकर क्या होगा ये इंसान कि तरक्की उसे कितनी और परेशानी का सामना करायेगी! इसका अहसास तो कुछ हद तक हमें होने भी लगा है कि प्रकति किस प्रकार अपनी प्रतिक्रिया देकर हमें बार-बार समझा रही है! फिर भी हम समझने को नही हैं!

पेड़ नही होंगे तब क्या होगाः-
      पेड़ नही होंगे तब क्या होगा इसकी कल्पना करना ही बैकार है बल्कि ये सोंचे कि पेड़ कम होने पर ही हमें किन-किन परेशानियो का सामना करना पड़ रहा है बस इतना सा एहसास ही हमे उस भहवहा रूप वाली परेशानी से बचाने के लिए ही काफी है!

      अगर अब भी हम नही जागे तो फिर जरूर वो भहवहा स्वरूप का सामना करने के लिए शायद ही कोई इस जहां में जीवित रहे!

      इस बात का हमें अभी से एहसास होने लगा है तो हमे अभी से ही सोचने की आवश्यकता है कि हमें इसका निकाल करना अति, आवश्यक है!

प्रकृति करा रही है एहसासः-
     
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हम दिन व दिन देख रहे है कि प्रकृति हमें हमारी गलतियों का एहसास दिन
-रात करा रही है कि पेड़ काटने के कारण कितना बुरा परिणाम हमें मिल रहा है क्योंकि प्रकृति कभी भी अपना विक्राल रूप रख लेती है जैसे बरसात में कहीं सूखा पड़ता तो कही बेसुमार पानी के हालात जिसमें हमारी कितनी छति हो जाती है और कितने निर्दप्रकृति के विकराल रूप की भेंट चड़ जाते हैं! तो वहीं गर्मी के मौसम में भी पेड़ की कमी हमें भीषण गर्मी के रूप में ये एहसास करा जाती है कि उन लोगों ने कितनी बड़ी गलती की है और सर्दी भी इतनी भहवहा रूप से हमें ये बता रही है कि हे मानव अगर तुम अब भी नही सुधरें तो वो दिन दूर नही जब इस संसार में मरूस्थल के अलावा कुछ भी नही बचेगा!

        इस भयवहा परेशानी से बचने के लिए हमें पेड़, पोधो का संरक्षण करना ही होगा अधिक से अधिक पेड़ लगाने होंगे और पेड़ों को कटने से रोकना भी होगा ये सिर्फ लिखने या कहने और पड़ने से काम नही चलेगा हम सबको इस पर अमल करना होगा तभी हम इस परेशानी से निजात पा सकते हैं! और इस संसार को मरूस्थल होने से बचा सकतें हैं और अपने आने वाले कल को संभाल सकतें हैं और उनके लिए एक हरी-भरी सोगात देना ही हमारा फर्ज है! तो ये हमें आज से ही बरन अभी से करना होगा!

पंछियों का करलब सुनने सें क्या होता हैः-
      सुबह-शाम पंछियों का करलब सुनने का भी बड़ा फायदा होता है सुबह सुनने से मन एक दम प्रमुल्लित हो जाता है और दिन भर जिंदगी संगीतमय बनी रहती है मतलब कि दिन भर खुशी-खुशी गुजरता है!

      शाम को पंछियों का करलब सुनने से संध्या बंधन हो जाती है और पूरी रात हमारा मन शांत हो जाता है और नींद भी अच्छी आती है

      ये सब तभी संभव है जब हम पेड़ो को अपने आस-पास लगायेंगे और उनका ख्याल रखेंगे    

लेखक का आपसे आग्रह

प्रिय पाठकों ये सारे लेख लेखक सागर ने आप की आवश्‍यकताओं को ध्‍यान में रखकर ही लिखी हैं कि आपके मन में किस-किस प्रकार की जिज्ञासायें होती हैं क्‍योंकि हम लोगों का एक अपना ही संसार होता है लेखक ने इस लेख में इसी को ध्‍यान में रखकर हम सभी की मनोभावना को समझकर ही इस लेख को तैयार किया है जिससे हमारी भवनायें हमारे लिये अपनी भाषा में प्रस्‍तुत कर सके जिससे सभी को ये लेख पढ़कर आनंद आये।

 लेख की जानकारी 

दोस्‍तों इस पोस्‍ट में हमने आपके समक्ष खुद अपने विचारों से लिखी कुछ लेख का संग्रह प्रस्‍तुत किया है इसमें सभी प्रकार की भावनाओं से ओत-प्रोत हस्‍त लिखित लेख को सामिल किया गया है हमे उम्‍मीद है कि आपको ये संग्रह काफी पसंद आयेगा। 

लेखक ने बहुत सारी लेख का संग्रह आपके समक्ष प्रस्‍तुत किया है जो इसी बेवसाईट पर नीचे रीड मोर आपशन पर आपको मिल जायेंगे सां‍थ ही लेखक निरंतर आपके लिये लेख लिख भी रहा है जो आगामी समय में आपको इसी व्‍लाग पर प्राप्‍त हो सकेंगे।

यदि आपको हमारी ये हस्‍त लिखित लेख का संग्रह पसंद आये तो हमें जरूर बतायें जिससे हमारा मनोवल बड़ता रहे और हम आपके समक्ष इसी प्रकार का संग्रह बनाते रहें।

हमारे द्वारा लिखे कुछ लेख के अंश प्रस्‍तुत हैं अगर इसी तरह आपका प्‍यार हमें मिलता रहा तो ये संग्रह यूं ही निरंतर बड़ता रहेगा इसलिये जरूर पढ़ें ओर हमारा मनोवल यूं ही बड़ाते रहें। 

लेखक का वाक्‍य :-

दोस्‍तों इस लेख लेखक ने वो पंछियों का अशियाना न जाने कहां खो गया के बारे में बताया है जो उसे बड़े ही सहज और सरलता पूर्वक हम सभी को समझ आने वाली भाषा में वर्णन किया है।

हम आपको ये बताना चाहते हैं कि इस लेख में लेखक ने अपनी लेखन द्वारा अपने सभी भाव इस लेख के रूप में व्‍यक्‍त करने की कोशिश कर की है, सांथ हमें लेख के बारे में बड़े ही सहज भाव से अपनी बात रखने की कोशिश की है जो काफी काबिले तारीफ है।

लेख जो इस व्‍लाग में लिखे गये हैं :-

1. संस्कार

2. वो पंछियों का अशियाना न जाने कहां खो गया

3. मोबाइल में सिमटता युवा वर्ग

4. भीतर के अवतार (अंतरात्मा) को जगाएँ

5. नेटवर्क ही सफल व्यापारी का गुण हैं।

6. कहां से आई सांप सीढ़ी

7. इंसान का आचरण ही उसका प्रमाण हैः

8. अगर आप अक्सर निराश रहते हैं

9. बदलती हुई सरकार अकसर दे जाती है जनता को भार

10. हमेशा खुद पर भरोसा रखें सफलता आपके पास होगी!

आदि।

आगामी भी आपके समक्ष जल्‍द ही इस व्‍लाग में मिलेगी थोड़ा इंत्‍जार करे।

हमारे प्रिय पाठकों!

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Milan Tomic

Hi. I’m Designer of Blog Magic. I’m CEO/Founder of ThemeXpose. I’m Creative Art Director, Web Designer, UI/UX Designer, Interaction Designer, Industrial Designer, Web Developer, Business Enthusiast, StartUp Enthusiast, Speaker, Writer and Photographer. Inspired to make things looks better.

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