भारत में स्वतंत्रता
संग्राम का इतिहास
भारतीय उपमहाद्वीप की
सीमा चौकियों पर 17वीं शताब्दी के दौरान कुछ
यूरोपीय व्यापारियों ने प्रवेश किया और अंततः ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने अपनी
विशाल सैन्य शक्ति के कारण भारत को गुलाम बना लिया। 18वीं शताब्दी तक
अंग्रेजों ने भारत में अपना वर्चस्व स्थापित कर लिया था। देखा जाए तो अंग्रेजों के
खिलाफ भारत में स्वतंत्रता क्रांति की शुरुआत 1857 में ही हो गई थी। इस
विद्रोह को सिपाही विद्रोह, 1857 का विद्रोह आदि कहा
जाता है। इस विद्रोह (1858 का भारत सरकार
अधिनियम) के माध्यम से भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों ने ब्रिटिश राज को यह एहसास
दिलाया कि भारत को नियंत्रण से मुक्त होना चाहिए। 1929 में लाहौर में भारतीय
राष्ट्रीय कांग्रेस का अधिवेशन हुआ जहाँ भारत ने पूर्ण स्वतंत्रता की घोषणा की। 1930 से 1947 के बीच कई आंदोलन हुए, जिनमें से एक सविनय
अवज्ञा आंदोलन है जिसे गांधीजी ने 1930 में शुरू किया था, जिसका अर्थ है बिना
हिंसा के किसी भी सरकारी आदेश की अवज्ञा करना। आपको बता दें कि द्वितीय विश्व
युद्ध के बाद 1947 में ब्रिटिश सरकार को
यह विश्वास हो गया था कि वह लंबे समय तक भारत को अपनी ताकत नहीं दिखा पाएगी। भारत
के स्वतंत्रता सेनानी लगातार अंग्रेजों को भारत छोड़ने के लिए मजबूर कर रहे थे और
साहस के साथ आजादी की लड़ाई लड़ रहे थे। इसलिए, भारत को आज़ाद करने का
फैसला आखिरकार अंग्रेजों ने ही लिया।
भारत में स्वतंत्रता
दिवस 15 अगस्त को क्यों मनाया
जाता है?
दरअसल, भारत के तत्कालीन
वायसराय लॉर्ड लुईस माउंटबेटन को ब्रिटिश संसद ने 30 जून 1948 तक भारत में सत्ता का
हस्तांतरण करने की जिम्मेदारी सौंपी थी। सी राजगोपालाचारी के अनुसार, अगर माउंटबेटन 30 जून 1948 तक इंतजार करते, तो उनके पास हस्तांतरण
के लिए कोई शक्ति नहीं बचती। इसलिए माउंटबेटन ने अगस्त 1947 में ही यह जिम्मेदारी
पूरी कर दी थी।
माउंटबेटन द्वारा भेजी
गई सूचना के आधार पर 4 जुलाई 1947 को ब्रिटिश हाउस ऑफ
कॉमन्स में भारतीय स्वतंत्रता विधेयक पेश किया गया। इस विधेयक को ब्रिटिश संसद ने
तुरंत ही पास कर दिया और इसके अनुसार ही यह भी तय हुआ कि भारत में ब्रिटिश शासन को
15 अगस्त 1947 को समाप्त हो जाएगा।
भारत में स्वतंत्रता
दिवस का क्या महत्व है और यह किसका प्रतीक है?
भारत में स्वतंत्रता
दिवस के दिन भारत में पतंग उड़ाई जाती है और यह खेल स्वतंत्रता दिवस का प्रतीक है
और स्वतंत्रता दिवस का दूसरा प्रतीक दिल्ली का लाल किला है जहां हर साल इस दिन
भारत के प्रधानमंत्री तिरंगा फहराते हैं। 15 अगस्त को भारत को
ब्रिटिश शासन से आजादी मिली थी, जिसकी याद में
स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है। यह दिन हर साल पूरे उत्साह के साथ मनाया जाता है।
यह कहना गलत नहीं होगा
कि 15 अगस्त 1947 को भारत गणराज्य को
ब्रिटिश शासन से आजादी मिली थी। तब से, ब्रिटिश सरकार से
आजादी के उपलक्ष्य में भारत में 15 अगस्त को स्वतंत्रता
दिवस मनाया जाता है। भारत के लिए, 15 अगस्त उसके पुनर्जन्म
का दिन है, एक नई शुरुआत का दिन
है।
पहले स्वतंत्रता दिवस 26 जनवरी को मनाया जाता
था
1930 से, 26 जनवरी को अगले 17 वर्षों तक स्वतंत्रता
दिवस के रूप में मनाया गया। फिर स्वतंत्रता मिलने के बाद, 15 अगस्त की तारीख को
स्वतंत्रता दिवस मनाया जाने लगा। इसकी भी अपनी कहानी है। आइए जानते हैं।
इसकी पूरी कहानी जानिये
31 दिसंबर 1929 को रावी नदी के किनारे
लाहौर अधिवेशन का आयोजन किया गया। यह वह समय था जब देश में स्वराज की मांग जोर
पकड़ रही थी। पंडित नेहरू के नेतृत्व में आयोजित जनसभा में इस मांग को उठाया गया।
अधिवेशन में उपस्थित लोगों ने लगातार मांग की कि अंग्रेजी सरकार भारत को डोमिनिकन राज्य
का दर्जा दे। इस पर सहमति बनी और यह संकल्प लिया गया कि 26 जनवरी को हर साल
स्वाधीनता दिवस मनाया जाएगा। इसका सीधा असर स्वतंत्रता संग्राम और
प्रतिद्वंद्वियों के व्यक्तित्व पर पड़ा। देश में जागरूकता फैली। स्वतंत्रता
संग्राम ने गति पकड़ी। जिसका असर लंबे समय तक देखने को मिला।
फिर क्या था, इस तरह आंदोलन ने गति
पकड़नी शुरू कर दी। हर साल 26 जनवरी को पूरे जोश के
साथ स्वतंत्रता दिवस मनाया जाने लगा। कहा गया कि यह सिलसिला तब तक चलता रहेगा जब
तक देश अंग्रेजों से स्वतंत्र नहीं हो जाता। इस तरह स्वतंत्रता दिवस को प्रतीकात्मक
रूप से मनाया जाने लगा।
फिर बदलाव क्यों हुआ?
फिर क्या था, इस तरह विकास ने गति
पकड़नी शुरू कर दी। लगातार 26 जनवरी को स्वायत्तता
दिवस पूरे जोश के साथ मनाया जाने लगा। कहा जाने लगा कि यह सिलसिला तब तक चलता
रहेगा जब तक देश अंग्रेजों से स्वायत्त नहीं हो जाता। इस तरह स्वायत्तता दिवस
प्रतीकात्मक रूप से मनाया जाने लगा।
देश का संविधान बनाने
में विधानसभा के 389 सदस्यों ने अहम
भूमिका निभाई थी। सभी सदस्यों की विशेषज्ञता को संविधान में शामिल किया गया था।
जिसका अंतिम मसौदा डॉ. भीमराव अंबेडकर ने संविधान सभा में पेश किया था। संविधान
सभा का मसौदा तय होने के बाद संविधान सभा के सभी सदस्यों ने इस पर हस्ताक्षर किए
और इसे 26 जनवरी को लागू किया
गया। इस तरह यह एक ऐतिहासिक दिन बन गया।
15 अगस्त को छुट्टी
क्यों मनाई जाती है?
भारत में स्वतंत्रता
दिवस 15 अगस्त को मनाया जाता
है। इसे सार्वजनिक अवकाश के रूप में मनाया जाता है। जहां सभी निजी कार्यालय, दुकानें, स्कूल और सरकारी
कार्यालय बंद रहते हैं। हर साल 15 अगस्त को
प्रधानमंत्री स्वतंत्रता दिवस समारोह के अवसर पर लाल किले से तिरंगा फहराते हैं।
स्कूलों में
स्वतंत्रता दिवस कैसे मनाया जाता है?
15 अगस्त राष्ट्रीय
अवकाश है। हालांकि, अवकाश से एक दिन पहले
या 15 अगस्त के सप्ताह के
दौरान किसी भी समय, शैक्षणिक संस्थान
बच्चों को स्वतंत्रता दिवस के महत्व से अवगत कराने के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित
करते हैं। सरकार स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम आयोजित करने के लिए स्कूलों को विशेष
धनराशि प्रदान करती है। इसका उद्देश्य नई पीढ़ी को ब्रिटिश शासन के चंगुल से देश
को मुक्त कराने में हमारे पूर्वजों द्वारा झेली गई कठिनाइयों से अवगत कराना है।
स्कूल बच्चों को
स्वतंत्रता गीत गाने, निबंध लेखन
प्रतियोगिताओं, वाद-विवाद में भाग
लेने, नाटक करने, अभिनय करने, नृत्य करने और
स्वतंत्रता आंदोलन के महत्व को दर्शाने वाली कोई भी चीज़ करने की अनुमति देते हैं।
स्कूल के कर्मचारी और छात्र अक्सर बच्चों को इस दिन के महत्व के बारे में शिक्षित
करते हैं। पिछले कुछ वर्षों से, स्कूल, विशेष रूप से सरकारी
स्कूल, छात्रों के लिए
स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री का राष्ट्र के नाम संबोधन सुनने की व्यवस्था कर
रहे हैं।
स्वतंत्रता दिवस की
पृष्ठभूमि और इतिहास
स्वतंत्रता दिवस, जिसे स्वतंत्रता दिवस
के रूप में भी जाना जाता है, स्वतंत्रता आंदोलन की
सफलता में मदद करने वाले शहीदों की याद में मनाया जाता है। इस दिन भारत ब्रिटिश
शासन से मुक्त हुआ और धार्मिक आधार पर दो देशों में विभाजित हो गया।
द्वितीय विश्व युद्ध
से थके हुए अंग्रेजों को जल्द ही एहसास हो गया कि भारत पर उनकी पकड़ पूरी तरह खत्म
होने में कुछ ही समय बाकी है। देश भर में चल रहे सविनय अवज्ञा आंदोलन ने ब्रिटिश
शासन को हिलाकर रख दिया। 20 फरवरी 1947 को अंग्रेजों ने भारत
को पूर्ण स्वशासन देने का फैसला किया। उसके बाद भी हमें अपनी आजादी मिलने में कई
महीने का समय लग गया।
भारतीय स्वतंत्रता
अधिनियम 1947
भारतीय स्वतंत्रता
अधिनियम 1947 को देश को दो देशों, भारत और पाकिस्तान में
विभाजित करने के लिए पारित किया गया था। इस अधिनियम का प्राथमिक उद्देश्य तत्कालीन
ब्रिटिश सरकार से विधायी संप्रभुता को भारतीय विधि सभा को हस्तांतरित करना था।
हालाँकि इस अधिनियम को 'भारतीय स्वतंत्रता
अधिनियम 1947' कहा जाता है, लेकिन इसे यूनाइटेड
किंगडम की संसद ने पारित किया था। ओर इस अधिनियम को 18 जुलाई 1947 को शाही स्वीकृति
प्राप्त हुई।
हमारे प्रिय पाठकों!
आप सभी को ये जानकारी कैसी लगी? अपने विचार हमारे साथ कमेंट बॉक्स के माध्यम से साझा करें। आपकी राय हमारे लिए बहुत कीमती है। शुक्रिया !
Note:-.
यदि आपके पास Hindi में कोई Motivation, Health, Computer Education, Technology, Dharmik, Biography, Other Story, Etc. पर कोई Article, Story या अन्य कोई जानकारी है जो आप हमारे साथ Share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ हमे E-mail करें. पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ हमारी वैबसाइट पर Publish जरूर करेंगे.
E-mail id :- dreamz.ind07@gmail.com
--------------
More Read Articles:-
बसंत पंचमी क्यों मनाते हैं।
गणतंत्र दिवस 26 जनवरी को ही क्यों मनाया जाता है?
नव वर्ष क्यों मनाया जाता है
दीपावली का त्यौहार क्यों मनाया जाता है
करवा चौथ व्रत कथा
गिफ्ट पैकिग को परेशानी ना बनाएं
एमएस वर्ड में मेल मर्ज क्या है
photoshop all menu in hindi
Some More Option:-
ICC World Cup 2023 India Match
IND vs AUS: भारत ने ऑस्ट्रेलिया को 5 विकेट से हरा दिया|
IND vs AFG:दूसरे मेच में भारत ने अफगानिस्तान को 8 विकेट से हराया
IND vs PAK:भारत ने पाकिस्तान को 7 विकटों से हराया, तीसरे मेच में हराया
IND Vs BAN भारत ने बांग्लादेश को 7 विकेट से हराया
IND Vs NZ भारत ने नयूजीलैंड को 4 विकेट से हराया
IND Vs ENG भारत ने इंग्लैंड को 100 रनों से हराया
IND Vs SRI भारत ने श्रीलंका को 302 रनों से हराया
IND Vs SA भारत ने दक्षिण अफ्रीका को 243 रन से हराया
IND Vs NED भारत ने नीदरलैंड को 160 रन से हराया
SEMI FINAL MATCH (सेमीफाइनल मैैच)
IND Vs NZ Semifinal-I भारत ने न्यूजीलैंड को 70 रन से हराया
AUS Vs SA Semifinal-II ऑस्ट्रेलिया ने दक्षिण अफ्रीका को 3 विकेट से हराया
FINAL MATCH (फाइनल मैैच)
IND Vs AUS Final ऑस्ट्रेलिया ने भारत को 6 विकेट से हराया
IND Vs AUS 5 T20 SERIES 2023 (इंडिया और आस्ट्रेलिया के 5 T20 मैैच)
0 comments:
Post a Comment