गणतंत्र दिवस 26 जनवरी को ही क्यों मनाया जाता है?
ऐसे बहुत से लोग होंगे जो यह नहीं जानते होंगे कि 26 जनवरी को ही गणतंत्र दिवस क्यों मनाया जाता है, आइए आपको बताते हैं कि हम 26 जनवरी को ही
गणतंत्र दिवस क्यों मनाते हैं?
भारत का संविधान 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र प्रसाद को सौंपा
गया था, इसलिए हर साल 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है।
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद संविधान सभा का गठन किया गया।
संविधान सभा ने अपना काम 9 दिसंबर 1946 से शुरू किया था। दुनिया के इस सबसे बड़े लिखित संविधान को
तैयार करने में 2 साल, 11 महीने, 18 दिन लगे थे।
26 जनवरी 1950 को सुबह 10 बजकर 18 मिनट पर भारत गणतंत्र बना। इसके छह मिनट बाद डॉ. राजेंद्र
प्रसाद ने भारत के पहले राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली।
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गणतंत्र दिवस हर साल 26 जनवरी को हर देशवासी
पूरे उत्साह के साथ गणतंत्र दिवस मनाता है। इस खास मौके पर हर साल इंडिया गेट से
राष्ट्रपति भवन तक राजपथ पर भव्य परेड होती है। इस परेड में भारतीय सेना, वायु सेना, नौसेना आदि की विभिन्न
रेजीमेंट हिस्सा लेती हैं। शायद आपके मन में यह सवाल आया होगा कि हम 26 जनवरी को ही गणतंत्र दिवस क्यों मनाते हैं, किसी और दिन क्यों नहीं. इसके पीछे बड़ा ही रोचक इतिहास है।
क्या आप जानते हैं कि आजादी से पहले देश का स्वतंत्रता दिवस किसी और दिन मनाया
जाता था। यहां हम आपके लिए गणतंत्र दिवस से जुड़ी ऐसी ही कुछ रोचक बातें लेकर आए
हैं।
जानिए 26 जनवरी को ही क्यों लागू हुआ संविधान
26 जनवरी 1950 को आज ही के दिन संविधान लागू हुआ था जिसके कई कारण थे। देश के स्वतंत्र होने के बाद संविधान सभा ने 26 नवंबर 1949 को संविधान को अपनाया। वहीं, 26 जनवरी 1950 को संविधान को लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था के साथ लागू किया गया। इस दिन भारत को पूर्ण गणतंत्र घोषित किया गया था। 26 जनवरी को संविधान लागू करने का एक मुख्य कारण यह भी है कि इसी दिन 1930 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने भारत की पूर्ण स्वतंत्रता की घोषणा की थी।
वर्ष 1929 में पंडित जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के माध्यम से एक बैठक आयोजित की गई। जिसमें सर्वसम्मति से यह घोषणा की गई कि ब्रिटिश सरकार 26 जनवरी 1930 तक भारत को डोमिनियन का दर्जा दे दे। भारत का स्वतंत्रता दिवस पहली बार इसी दिन मनाया गया था। 15 अगस्त 1947 को आजादी मिलने तक स्वतंत्रता दिवस 26 जनवरी को ही मनाया जाता था। 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू हुआ और 26 जनवरी 1930 को पूर्ण स्वराज घोषित करने की तिथि को महत्व देने के लिए 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस घोषित किया गया।
308 सदस्यों ने संविधान बनाया
संविधान का वह प्रारूप जिसके अनुसार आज देश में काम हो रहा
है, उसे भारतीय संविधान के
निर्माता कहे जाने वाले डॉ. भारत रत्न बाबासाहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने तैयार
किया था। कई सुधारों और परिवर्तनों के बाद,
समिति के 308 सदस्यों ने 24 जनवरी 1950 को हस्तलिखित कानून की दो प्रतियों पर हस्ताक्षर किए, जिसके दो दिन बाद 26 जनवरी को इसे देश में
लागू कर दिया गया। 26 जनवरी के महत्व को बनाए
रखने के लिए उसी दिन भारत को लोकतांत्रिक पहचान दी गई थी। संविधान के लागू होने के
बाद, पहले से मौजूद ब्रिटिश
कानून गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट (1935) को भारतीय संविधान के
माध्यम से भारतीय शासन दस्तावेज के रूप में बदल दिया गया। इसलिए हर साल हम भारतीय 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं।
सुबह 10 बजकर 18 मिनट पर भारत गणतंत्र राष्ट्र बना
26 जनवरी 1950 को प्रातः 10 बजकर 18 मिनट पर भारत गणतंत्र राष्ट्र बना। उसके ठीक 6 मिनट बाद 10:24 बजे डॉ. राजेंद्र प्रसाद
ने भारत के पहले राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली। इस दिन डॉ. राजेंद्र प्रसाद पहली
बार राष्ट्रपति के रूप में राष्ट्रपति भवन से बग्घी में निकले, जहां उन्होंने पहली बार सेना की सलामी ली और उन्हें पहली
बार गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। इस दिन हम भारतीय तिरंगा फहराने के साथ-साथ राष्ट्रगान
गाने के साथ या तो कई कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं या उनमें शामिल होते हैं।
गणतंत्र दिवस कार्यक्रम एक सप्ताह का होता है
गणतंत्र दिवस कार्यक्रम आमतौर पर 24 जनवरी को राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार प्राप्त करने वाले
बच्चों के नामों की घोषणा के साथ शुरू होता है। लेकिन इस बार इसकी शुरुआत नेताजी
सुभाष चंद्र बोस की जयंती 23 जनवरी से हो रही है. और 25 जनवरी की शाम को राष्ट्रपति राष्ट्र को संबोधित करते हैं।
गणतंत्र दिवस का मुख्य कार्यक्रम 26 जनवरी को आयोजित किया
जाता है।
इस दौरान राजपथ पर परेड निकाली जाती है। 27
जनवरी को
प्रधानमंत्री परेड में भाग लेने वाले एनसीसी कैडेटों के साथ बातचीत करते हैं। वहीं
29 जनवरी को रायसीना हिल्स पर बीटिंग द रिट्रीट कार्यक्रम का
आयोजन किया जाता है. इस दौरान तीनों सेनाओं के बैंड शानदार धुनों के साथ मार्च
पास्ट करते हैं। इसी के साथ गणतंत्र दिवस कार्यक्रम समाप्त हो जाता है।
जानिए गणतंत्र दिवस का इतिहास और महत्व
2 साल 11 महीने 18 दिन में संविधान तैयार हुआ था
1950 में आज ही के दिन देश का
संविधान लागू हुआ और भारत एक गणतंत्र बना। इसीलिए हर साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है।
26 जनवरी 1950 को अंग्रेजों द्वारा बनाए गए भारत सरकार अधिनियम 1935 के स्थान पर भारत का संविधान लागू हुआ। भारत का संविधान 26 नवंबर 1949 को ही तैयार हो गया था
और इसे संविधान सभा की स्वीकृति मिल गई थी। लेकिन इसे 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया।
26 जनवरी 1950 को ही संविधान क्यों लागू किया गया था?
ऐसा करने की एक खास वजह थी, दरअसल कांग्रेस
ने 26 जनवरी, 1930 को देश की पूर्ण आजादी या पूर्ण स्वराज का नारा दिया था.
इसी की याद में हमने संविधान लागू करने के लिए 26 जनवरी 1950 तक इंतजार किया।
दरअसल, 1929 में जवाहरलाल नेहरू की
अध्यक्षता में कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में पहली बार पूर्ण स्वराज की शपथ ली गई
थी। उस अधिवेशन में ब्रिटिश सरकार से मांग की गई कि 26 जनवरी 1930 तक भारत को संप्रभु का
दर्जा दिया जाए। तब 26 जनवरी 1930 को पहली बार पूर्ण स्वराज या स्वतंत्रता दिवस मनाया गया।
इसके बाद 15 अगस्त 1947 तक यानी अगले 17 सालों तक 26 जनवरी को ही स्वतंत्रता दिवस मनाया जाने लगा। इस दिन की
महत्ता को देखते हुए 26 जनवरी 1950 को देश का संविधान लागू किया गया और इसे गणतंत्र दिवस
घोषित किया।
राजेंद्र प्रसाद ने गणतंत्र दिवस पर पहली बार तिरंगा फहराया था
भारत के गणतंत्र बनने की घोषणा देश के अंतिम गवर्नर जनरल सी
राजगोपालाचारी ने की थी। 26 जनवरी 1950 को सुबह 10 बजकर 18 मिनट पर भारत गणतंत्र बना और 6 मिनट बाद 10 बजकर 24 मिनट पर डॉ. राजेंद्र प्रसाद को देश के पहले राष्ट्रपति के
रूप में शपथ दिलाई गई।
पहले गणतंत्र दिवस समारोह में, राजेंद्र प्रसाद ने 21 तोपों की सलामी के साथ
तिरंगा फहराया। उन्होंने हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में भाषण दिया। तब से हर
साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस
को राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाया जाता है।
15 अगस्त 1947 को देश आजाद हुआ था। इससे एक साल पहले यानी 9 दिसंबर 1946 को तय हुआ था कि भारत का
अपना संविधान होगा और इसके लिए संविधान सभा का गठन किया गया था। 2 साल, 11 महीने और 18 दिनों तक चली मैराथन बैठकों के बाद, 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा द्वारा
संविधान का गठन और अनुमोदन किया गया, जो 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ।
15 अगस्त और 26 जनवरी के बीच का अंतर
स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस
तिथियों के अनुसार दोनों के इतिहास को समझकर अन्तर किया जा
सकता है। 15 अगस्त 1947 को भारत अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त हुआ था। इसलिए इस
दिन को हर साल भारत के स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है।
वहीं, देश की आजादी के तीसरे
साल यानी 26 जनवरी 1950 को भारत में संविधान लागू हुआ। इसलिए इस दिन गणतंत्र दिवस
मनाया जाता है। संविधान लागू होने के बाद भारत एक संप्रभु राष्ट्र बन गया। इसका
प्रभाव यह हुआ कि भारत एक गणतांत्रिक देश बन गया जो किसी बाहरी देश के निर्णयों और
आदेशों को मानने के लिए बाध्य नहीं था। साथ ही कोई अन्य देश भारत के आंतरिक मामलों
में दखल नहीं दे सकता है।
तिरंगा फहराने में अंतर
भले ही 15 अगस्त और 26 जनवरी दोनों ही राष्ट्रीय त्यौहार हैं, लेकिन उनके मनाए जाने के तरीके में अंतर है। 15 अगस्त और 26 जनवरी को देश भर में
ध्वजारोहण होता है। स्वतंत्रता दिवस के मौके पर झंडे को रस्सी के सहारे नीचे से खींचकर
फहराया जाता है। इसे ध्वजारोहण कहते हैं।
लेकिन 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस
के मौके पर तिरंगा बांध दिया जाता है. इसे पूरी तरह से खुला फहराया जाता है। इसे
कहते हैं झंडा फहराना। संविधान में इसका जिक्र करते हुए इस प्रक्रिया को (फ्लैग अनफिलिंग) झंडा फहराना कहा गया।
नेतृत्व का अंतर
देश के प्रधानमंत्री 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर ध्वजारोहण करते हैं। उस समय तक
देश का संविधान लागू नहीं हुआ था। ऐसे में देश का नेतृत्व प्रधानमंत्री के हाथों
में था। इसलिए तभी से प्रधानमंत्री द्वारा ध्वजारोहण की परंपरा है।
26 जनवरी को भारत का संविधान लागू हुआ था। संविधान के अनुसार
देश का संवैधानिक प्रमुख राष्ट्रपति होता है। इसलिए राष्ट्रपति 26 जनवरी को तिरंगा फहराते हैं। राष्ट्रपति भी इस दिन देश के
नाम अपना संदेश जारी करते हैं।
जगह का अंतर
15 अगस्त को ध्वजारोहण और 26 जनवरी को तिरंगा
फहराने के स्थान में भी अंतर है। स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री लाल
किले से ध्वजारोहण करते हैं। जिसमें नीचे से
रस्सी खींचकर तिरंगा फहराया जाता है। जबकि 26 जनवरी के मौके पर
राष्ट्रपति लाल किले से नहीं बल्कि दिल्ली में राजपथ पर तिरंगा झंडा फहराते हैं.
भारत का राष्ट्रीय गीत "वंदे मातरम्"
भारत का राष्ट्रीय गीत "वंदे मातरम" देश के गौरव को दर्शाता है। इसे भी राष्ट्रगान के समान दर्जा प्राप्त है। हम विभिन्न राष्ट्रीय आयोजनों और राष्ट्रीय अवसरों पर अपनी मातृभूमि के लिए अपना यह राष्ट्रीय गीत गाते हैं। वंदे मातरम् एक ऐसा गीत है, जिसे गाने पर देशवासियों के मन में देश के प्रति उत्साह भर जाता है। भारत का राष्ट्रीय गीत "वंदे मातरम" बंकिम चंद्र चटर्जी के प्रसिद्ध उपन्यास आनंदमठ से लिया गया है। भारत का राष्ट्रीय गीत "वंदे मातरम" 7 नवंबर 1876 को रचा गया था। वंदे मातरम को पहली बार 1896 में रवींद्रनाथ टैगोर ने गाया था। भारत का राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम् दो भाषाओं बंगाली और संस्कृत में लिखा गया था। वर्ष 1905 में कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में पहली बार "वंदे मातरम" को राष्ट्रीय गीत का दर्जा मिला और 24 जनवरी 1950 को वंदे मातरम के पहले दो छंदों को आधिकारिक रूप से भारत का राष्ट्रीय गीत घोषित किया गया।
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भारत का राष्ट्रीय गीत
वंदे मातरम्, वंदे मातरम् !
सुजलाम्, सुफलाम्, मलयज शीतलाम्,
शस्यश्यामलाम्
मातरम्, वंदे मातरम् !
शुभ्रज्योत्सनाम्
पुलकितयामिनीम्,
फुल्लकुसुमित
द्रुमदल शोभिनीम्,
सुहासिनीम् सुमधुर
भाषिणीम्,
सुखदाम्, वरदाम्, मातरम् !
वंदे मातरम्, वंदे मातरम !
(बंकिम चन्द्र चटर्जी)
राष्ट्रीय गीत का हिंदी अनुवाद
मैं आपके सामने
नतमस्तक होता हूँ, ओ माता !
पानी से सींची, फलों से भरी,
दक्षिण की वायु के
साथ शांत,
कटाई की फसलों के
साथ गहरी, ओ माता !
उसकी रातें चाँदनी
की गरिमा में प्रफुल्लित हो रही हैं,
उसकी जमीन खिलते
फूलों वाले वृक्षों से बहुत सुन्दर ढकी हुई है,
हँसी की मिठास, वाणी की मिठास,
माता ! वरदान देने
वाली, आनन्द देने वाली |
वंदे मातरम् के वास्तविक बोल
वन्दे मातरम् !
सुजलां सुफलां
मलयजशीतलाम् ,
शस्यशामलां मातरम् |
शुभ्रज्योत्स्नापुलकितयामिनीं,
फुल्लकुसुमितद्रुमदलशोभिनीं,
सुहासिनीं सुमधुर
भाषिणीं,
सुखदां वरदां
मातरम् || १ ||
वन्दे मातरम् !
कोटि – कोटि – कण्ठ – कल – कल – निनाद – कराले,
कोटि – कोटि – भुजैर्धृत – खरकरवाले,
अबला केन मा एत बले
|
बहुबलधारिणीं नमामि
तारिणीं
रिपुदलवारिणीं
मातरम् || २ ||
वन्दे मातरम् !
तुमि विद्या, तुमि धर्म तुमि
हृदि,
तुमि मर्म त्वं हि प्राणा:
शरीरे बाहुते तुमि
मा शक्ति,
हृदये तुमि मा
भक्ति,
तोमारई प्रतिमा गडि
मन्दिरे – मन्दिरे मातरम् || ३ ||
वन्दे मातरम् !
त्वं हि दुर्गा
दशप्रहरणधारिणी,
कमला कमलदलविहारिणी
वाणी विद्यादायिनी,
नमामि त्वाम् नमामि
कमलां,
अमलां अतुलां
सुजलां सुफलां मातरम् || ४ ||
वन्दे मातरम् !
श्यामलां सरलां
सुस्मितां,
भूषितां धरणीं
भरणीं मातरम् || ५ ||
वन्दे मातरम् !
(बंकिम चन्द्र चटर्जी)
भारत का राष्ट्रीय गान "जन गण मन"
राष्ट्रगान "जन गण मन" हमारे देश की पहचान से जुड़ा है, यह देशभक्ति की भावना को व्यक्त करता है। राष्ट्रगान का संवैधानिक विशेषाधिकार है। "जन गण मन" भारत का राष्ट्रगान है, जिसे रवींद्रनाथ टैगोर ने बंगाली में लिखा है। इसे पहली बार 27 दिसंबर, 1911 को कलकत्ता में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की बैठक में गाया गया था। 24 जनवरी, 1950 को संविधान सभा द्वारा भारत के राष्ट्रगान को स्वीकार किया गया। रवीन्द्रनाथ टैगोर की इस स्तुति से प्रसन्न होकर 1913 में उन्हें साहित्य के क्षेत्र में 'गीतांजलि' के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। रवींद्रनाथ टैगोर ने हमारे पड़ोसी देश बांग्लादेश का राष्ट्रगान "आमार सोनार बांग्ला" भी लिखा था। वे दुनिया के एकमात्र ऐसे कवि हैं जिनकी रचनाओं को दो देशों ने अपना राष्ट्रगान बनाया है। दुनिया का सबसे पुराना राष्ट्रगान डच का 'हेत विलहेलमस' है, जिसे 1574 में लिखा गया था।
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भारत का राष्ट्रगान
भारत भाग्य विधाता |
पंजाब सिन्धु गुजरात मराठा,
द्राविड़ उत्कल बंग |
विन्ध्य हिमाचल यमुना गंगा,
उच्छल जलधि तरंग |
तव शुभ नामे जागे, तव शुभ आशिष माँगे,
गाहे तव जय गाथा |
जन – गण मंगलदायक जय हे !
भारत भाग्य विधाता |
जय हे ! जय हे ! जय हे !
जय जय जय जय हे !
(रविंद्रनाथ टैगोर)
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