TYPE OF SOFTWARE
Software को हम दो भागो में बाँट
सकते है ।
(i) System
Software
(ii) Application Software
(i) System
Software :-
ऐसे सॉफ्टवेयर जो कि विशेषता कम्प्युटर के समस्त हार्डवेयर गतिविधिया
को नियंत्रित व संचालित करते है साथ ही साथ Hard Ware व Application
Software के बीच में संबंध स्थापित करते हैं। सिस्टम
साफ्टवायर कहलाते हैं। ये Software 2 तरीके से उपयोग में लाए जाते हैं:-
1. Operating
system के रूप में
2. Networking
Operating System के रूप में ।
Ø Function
:- Operating System
इसको हम
Computer कि आत्मा कह सकते हैं तथा इसके बिना Computer एक म्रत मशीन के समान है।
यह
Programs का ऐसा Group हैं जिसके द्वारा हम Computer के समस्त क्रियाकलापों को
संचालित करते है अतः यह एक Master Program होता है Operating System के निम्न
कार्य हैं।
1. यह
सूचना के फ़्लो को Computer to user & user to Computer तक Co-Ordinate करता है।
(A)
Memory Management :-
यह डाटा व प्रोग्राम्स को प्राइमरी
व सेकेन्डरी मेमोरी प्रदान करने का प्रबंध करता है जब जॉब्स रन होती है, तब
ऑपरेटिंग सिस्टम इसे डिस्क से प्राप्त करता है और अपनी मेमोरी में इन्हे लोड कर
लेता है। परन्तु इन्हे लोड करने के पूर्व ऑपरेटिंग सिस्टम यह चेक करता है कि इनके
लिए पर्याप्त मेमोरी उपलब्ध है या नही और अगर है, तो वह इस मेमोरी को जॉब को आवंटित कर देता है। जब जॉब का
एक्जिक्यूशन समाप्त हो जाता है, तो इसे मेमोरी में से मिटा दिया जाता है और यही
मेमोरी किसी अन्य जॉब को आवंटित कर दी जाती है।
(B)
Processor Management :-
यह निर्देश व program को उनके
क्रियान्वयन के लिए Processor को भेजता है। तथा फिर पुनः
प्राप्त करता है।
(C)
File Management :-
यह डाटा और प्रोग्रामस को फाईल
में स्टोर करता है और इन फाइल को कई तरीकों से मेनिप्यूलेट किया जा सकता है।
ऑपरेटिंग सिस्टम फाइल कि आवश्यकता होने पर स्टोर या रिट्राइव करने में सहयता करता
है। एक यूजर कि तरह हमें इस बात कि चिंता करने कि कोई आवश्यकता नहीं कि डाटा या
फ़ाइल स्टोरेज मीडियम पर कैसे स्टोर होंगी, कहाँ पर स्टोर होगी और इन्हे कहां पर
देखा जाए।
(D)
Input/Output Management :-
जो कम्प्युटर सिस्टम आप उपयोग कर
रहे हैं, हो सकता है कि उसमे कई पेरिफेरल डिवाइसेस जैसे– कि बोर्ड, प्रिंटर, माउस,
माडेम आदि जुड़ी हो, यह Device हर एक System में या तो
इनपुट या आउटपुट जॉब को समालती है। यह सभी डिवाइसेस जॉब को लाने और उसे पूरा करने
के लिए कम्प्युटर के साथ कम्युनिकेट करती है। इन सभी कार्यो का नियंत्रण ऑपरेटिंग
सिस्टम द्वारा ही करा जाता है।
(E)
User interface :-
बाहरी
दुनिया से कम्प्युटर के साथ intract करने का एक रास्ता होना चाहिए क्योंकि
कम्प्युटर तो केवल 0 और 1 भाषा ही समझता है। कम्प्युटर द्वारा समझी जाने वाली भाषा
और मानव द्वारा समझी जाने वाली भाषा के बीच की दूरी ऑपरेटिंग सिस्टम के कमांड
इंटरप्रेटर द्वारा दूर की जाती है। यूजर इंटरफेस भाषाओ के बीच की इस दूरी को
मिटाने में सहायता करता है।
(E)
Security Management :-
यह
यूजर द्वारा संग्रहीत किये गये डेटा को सुरक्षा प्रदान करता है। जब कम्प्युटर
सिस्टम पर Virus का आटेक होता है तो यह हमें समय रहते ही इसकी जानकारी दे देता है
और हमें यह भी बताता है कि इन Virus को Antivirus के उपयोग से कैसे दूर किया जा
सकता है।
(F) Integrity Management :-
यह
डेटा को एकिक्रत रूप में (अर्थात कोई डेटा एक दूसरे को इंटरफियर) नही करता है।
यहाँ पर कोई कि Data किसी भी दूसरे Data के साथ Interpretar
नहीं कर सकता है।
(G)
Translate management :-
यह हमारे द्वारा दिए गए Commands
व Computer hardware के बीच अनुवादक (translator) का कार्य करता है।
(H)
Communication Management :-
यह Computer व उपयोगकर्ता या दो
Computer के बीच संसार कि सुविधा प्रदान करता है।
(I)
Production/Spoil Management :-
यह floppy पर tracks, sectors & fact व अन्य
संदेशों का निर्माण करता है व Floppy के पुराने format व data को नष्ट भी करता है।
(J)
Process Management :-
Process
management कई तरह कि प्रकियाए को संचालित करता है जैसे Batch Processing, Multi
Programming एक ही समय में Computer कि मेमोरी (रेम) में सिस्टम अर्थात इसके सभी
Program एक ही समय में Computer कि मेमोरी लोड हो जाए, ऐसा नहीं होता है इसलिए
हम Operating System को दो भागो में बांटते हैं First Part जो की मेमोरी में हमेशा रहता है रेसीडेंट प्रोग्राम या numeric या कर्नल या सुपर वाइनर कहलाता है।
यह कर्नल
Computer के समस्त बेसिक कार्य जैसे मेमोरी व फ़ाइल का उचित वितरण प्रोग्राम को
शुरुआत व खत्म करना इनपुट आउटपुट से संबंधित कार्य इंटरनेट हेडलिंग इत्यादि करता
है। दूसरा पार्ट जो कि मेमोरी पास हमेशा नहीं रहता है, बल्कि समय-समय पर जब उसकी
जरूरत होती है तब मेमोरी में लाया जाता है तथा मेमोरी से हटा दिया जाता है,
ट्राजिटर प्रोग्राम कहलाते है।
Ø PARTS
OF OPERATING SYSTEM
1. Single
User Operating System
2. Multi
User Operating System
1.
Single User
Operating System :-
एक
ऐसा कम्प्युटर सिस्टम जो कि एक समय में एक ही व्यक्ति उपयोग कर सकें। Single User
Operating System कहलाता है DOS System
7.5 O/S & Window
NT इसके उदा॰ हैं।
2.
Multi User
Operating System :-
एक ऐसा कम्प्युटर सिस्टम जो की एक
से ज्यादा यूजर को उपयोग अनुमति देता है Multi user Operating System कहलाता है
जैसे Unix तथा सभी डेरिवेडिल Multi user System के Example हैं।
(ii)
Application Software :-
Computer
में किसी विशेष कार्य को करने या समस्याओं को सुलझाने के लिए जिस प्रोग्राम का
उपयोग किया जाता है उसे Application आदि कार्यो के लिए different application
software से वांछित कार्य करते हैं। application software को application package
के नाम से भी जाना जाता है। application software एक या एक से अधिक प्रोग्राम का
कलेक्शन होता है। ये प्रोग्राम किसी विशेष कार्य को सुचारु रूप से चलाने के लिए लिखे
जाते हैं कुछ विशेष एप्लिकेशन को प्रस्तुत करने के लिए बाजार में Ready mate
application program मिलते हैं जिन्हे application software कहा जाता है। उदा के
लिये बिक्री लेजर, लोटस, बेस थ्री, पे सिल्प्स लेजर आदी।
Ø Function
:- Application Software
Application Software निम्न
कारर्यो में हमारे सहयता करता है।
1. Inventory
control (चल संपत्ति का सूचि सहित विवरण है)
2. Sales
purchase ledger बनाने में
3. Pay
Slip बनाने में
4. General
Accounting में
5. Word Processing page, making में
Business
application में इन्ही कार्यो को बार-बार करने की जरूरत पड़ती है अतः इन कार्यो के
लिये जो साफ्टवेयर बनाए जाते है वे प्रोग्राम को एप्लिकेशन प्रोग्राम बनाते हैं।
अतः साफ्टवारे की मदद से कुछ विशिष्ट कार्य संपन्न किए जा सकते हैं।
Ø Type
of Application Software
1. General
Purpose Application
2. Special
Purpose Application
General
Purpose Application में Electronic spread sheet, general application program द्वारा specific program लिखे या बनाए जाते है special purpose में Computer
Software Program
Ø Application
Software
पहले के जमाने में कम्प्युटर के कार्य का अलग सेक्शन बनता था जिसमें केवल Computer
Experts ही Computer चला सकते थे।
जिन्हे Computer के बारे में और उसके प्रोग्राम के बारे में जानकारी
होती थी परंतु आज के जमाने में Computer user कोई भी हो सकता है। यह अंतर मुख्य
रूप से Computer Software के बदलाव से आया है।
आजकल
जो Software बनते हैं वो विशेष रूप से उपयोगकर्ता और
कम्प्युटर में अच्छे संबंध स्थापित कर सकते हैं
इसलिए कम्प्युटर व User आपस में सहयोग से
काम कर सकते हैं वे एक दूसरे की भाषा अच्छी तरह समझ
सकते हैं इस Micro Computer Software में निम्न
Qualities होती हैं।
Ø Qualities of Computer Software
1. User friendly interface
2. Menu Drives
3. Online Help
4. Alart diagnostic massage
5. On line tutorial
6. Supported by easy to read user manuals
7. Graphic output
8. Interactive in nature
1. Interactive with the System :-
(i) User Friendly:-
यह साफ्टयेवर यूजर
को आसानी से समझ में आने वाले Words Phrase का उपयोग करती है और उपयोगकर्ता को Common Computer
को समझने में मदद करती है इनमें कभी–कभी Icon or Picture Graphs का उपयोग किया जाता है इससे User को समझने में आसानी होती है कोई परेशानी हो तो Help
का उपयोग कर सकते हैं।
(ii) Input & Control :-
Keyboard
एक Primary Input तथा Control Device है जिससे data और command की entry की जाती है इसमें cursor control
key भी रहती है जिससे करर्स को भी मुव कर सकते हैं।
(iii) Menu Drive :-
हम
जो भी करना चाहे उसे मेनु के उपयोग से आसानी से कर सकते हैं
इसी तरह हम pictorial form भी देख सकते है जैसे-Graphic
Menu
के Evels होते हैं
उनका उपयोग अलग-अलग कार्यों जाता
है इससे हम अपनी फ़ाइल अच्छी तरह डिजाइन कर सकते हैं
Font size, Type change
कर सकते है पत्रिका कार्ड आदि Design कर सकते हैं। Operating
System :- 1. Version of Dos
§ PC-DOS
& MS-DOS :-
MS-DOS को माइक्रोसाफ्ट
कंपनी ने सन 1969 में बनाया था किन्तु इसका डास ज्यादा प्रसिद्ध हुआ।
§ Apple DOS/Finder/System :-
ये
सभी ओ.
एस.
हैं
जो कि Apple Computer व उसकी
परिवार के कम्प्युटर के लिये हैं।
§ Operating
System 2 :-
इस
Operating System
को आई.बी.एम.
व माइक्रोसाफ्ट कंपनी ने संयुक्त रूप से 1987 में बनाया था डास व विन्डो में बहुत
मिलता है।
Ø CHARACTERISTIC
OF OPERATING SYSTEM
1. Batch Processing
2. Multi Programming
3. Multi Processing
Batch :- “यह ऐसी तकनीक है जिसमे कई
कार्यो को एक बैंच बनाकर प्रस्तुत किया जाता है और उनका क्रमश: पालन किया जाता है
पर्सनल कम्प्युटर पर प्राय इसी विधि से कार्य होता है।
(i)
Batch Processing :-
पुराने
समय में माइक्रो प्रोसेसर कि स्पीड बहुत अधिक थी और जब इससे एक-एक
काम
करवाते थे तब इसका पूरी तरह उपयोग नहीं हो पता था, इसलिए यह सुस्त अवस्थामें रहता
था। इस समस्या को बहुत हद तक कम करने के लिए हमने ऑपरेटिंग सिस्टम का निर्माण किया
बेंच प्रोसेसिंग में प्रोग्राम का स्टाक कम्प्युटर को दिया जाता है। तब आपरेटिंग
सिस्टम स्वतः एक के बाद एक कार्य करने कि क्षमता के गुण के द्वारा इन समस्त
प्रोग्राम का क्रियान्वयन एक के बाद एक स्वतः करता है जिससे कि क्रमशः एक के बाद
एक प्रोग्राम को मेमोरी में रखना या हटाना
इसकी आवश्यकता नहीं पड़ती है, जिससे समय की बचत होती है। बेंच प्रोसेसिग हमेशा एक
के बाद एक स्वतः ही क्रियान्वित होते है, इस
में उपयोगकर्ता कोई भी व्यवधान उत्पन्न नहीं कर सकता है।
परंतु
इस बैंच प्रोसेसिंग को और अधिक उपयोगी व गतिशील बनाने के लिए हमने इसमें दो
तकनीकों को शामिल किया वे इस प्रकार है।
(i) Program Control language (P.C.L)
(ii)Spool
(i) Program Control language:-
जब
कम्प्युटर को प्रोग्राम का एक बैंच दिया जाता है, तब सबसे मुख्य समस्या यह होती है
या कहा से शुरू हुआ है तथा किसी विशेष
प्रोग्राम के लिए कौन सा Interpreter या Compiler
Hardware
उपकरण आवश्यक है इस समस्या के समाधान के लिये प्रत्येक प्रोग्राम के पहले कुछ
विशेष निर्देश लिखते है जो उपयुक्त सभी समस्याओ का समाधान करके कार्य को शुचारु
रूप से चलाते है ये दिये गए निर्देश का ग्रुप ही प्रोग्राम कंट्रोल लैंग्वेज या
जॉब कंट्रोल लैंग्वेज़ कहलाती है।
जब
एक प्रोग्राम लिखा जात है तब उसी के साथ ही यह प्रोग्राम कंट्रोल लैंग्वेज़ भी उचित
क्रम में लिखी जाती है तथा दोनों को मिलाकर ही स्टेक बनाया जाता है व कम्प्युटर को
दिया जाता है। प्रोग्राम कंट्रोल लैंग्वेज़
प्रत्येक कम्प्युटर के लिये अलग-अलग
होती है।
(ii) Spool
(Simultaneous Peripheral Output on line):-
यह एक ऐसी
तकनीक है, जिसके
द्वारा सी.पी.यू. की गति बढ़ाई व मेमोरी का उचित उपयोग किया जाता है।
समान्यता: इनपुट/आउटपुट उपकरणो की गति सी.पी.यू. की तुलना में बहुत
कम होती है तथा इन दोनों के बीच सूचनाओ का आदान-प्रदान गति की अनियमितता को
दर्शाता है।
उदाहरण
के लिये कार्ड रीडर मेमोरी से एक अक्षर पड़ता है या प्रिंटर एक अक्षर मेमोरी से
प्रिंट करता है सिर्फ इस बीच सी.पी.यू.
हजारों प्रक्रियाए कर देता है अतः सी.पी.यू.
फिर सुप्त अवस्था में आ जाता है
अतः
इस गति की अनियमित को हम स्पोल की तकनीक से कम कर सकते है इससे हम वह समस्त डेटा
जो कि इनपुट/आउटपुट से संबंधित है को मेन मेमोरी में न रखते हुए सेकेन्डरी मेमोरी
में रखते है क्योंकि सीपीयू सिर्फ में मेमोरी के डेटा को ही क्रियान्वित करता है
इस प्रकार सी.पी.यू.
के लिए समस्त डेटा या प्रोग्राम हमेशा उपलब्ध रहते है इसलिए सी.पी.यू.
का समय डेटा कि प्रतिक्षा करने का बचता है।
इस
स्पोल प्रक्रिया के लिए कुछ स्पोल प्रोग्राम बनाए जाते है जिनको आपरेटिंग सिस्टम
सी.पी.यू.
कि मदद से उस समय क्रियान्वित करवाता है
जबकि सी.पी.यू.
बहुत अधिक व्यस्त न हो।
इस
स्पोल प्रक्रिया के लिए कुछ स्पोल प्रोग्राम बनाए जाते है जिनको आपरेटिंग सिस्टम
सी.पी.यू.
कि मदद से उस समय क्रियान्वित करवाता है जबकि सी0पी0यू बहुत अधिक व्यस्त न हो।
2. Multi Programming:-
“जब कम्प्युटर के सी.पी.यू. के द्वारा एक साथ एक से अधिक प्रोग्रामर्स का पालन किया जाता है, उसे मल्टी प्रोग्रामिंग कहा जाता है।” Batch
processing की सबसे मुख्य समस्या यह है कि इसमें मेन मेमोरी व सी.पी.यू. का उचित उपयोग नहीं हो पाता है क्योंकि बैंच प्रोग्राम एक के बाद क्रियान्वित होते है तथा जब एक प्रोग्राम चलता है तब वह पूरी मेन मेमोरी को घेरे रहता है जब यह प्रोग्राम पूर्ण हो जाता है तब अगला प्रोग्राम मेमोरी में लोड किया जाता है। इस तरह से पूरी मेमोरी में हमेशा कोई एक प्रोग्राम ही रहता है किन्तु यह प्रोग्राम इतना बड़ा नहीं होता है कि पूरी मेमोरी का उपयोग कर सके। इसलिए बैंच प्रोसेसिंग में मेमोरी का पूर्ण उपयोग नहीं हो पाता है।
जब आपरेटिंग सिस्टम में एक नई तकनीक मल्टी प्रोग्रामिंग को विकसित किया गया। मल्टी प्रोग्रामिंग का अर्थ है एक से
ज्यादा प्रोग्राम का मेन मेमोरी में एक साथ होना जिससे कि सी0पी0यू0 अपने समय का उपयोग बहुत से प्रोग्राम के लिये करें, बजाय सूरत रहने के (जब एक प्रोग्राम हो हर और वह भी इनपुट/आउटपुट प्रक्रिया में शामिल हो यदि एक प्रोग्राम को सी.पी.यू. क्रियान्वित कर रहा है तो दूसरा इनपुट/आउटपुट प्रोसेस में शामिल है व तीसरा प्रोग्राम सी.पी.यू. कि प्रतीक्षा में है, परन्तु यहां पर भी सी0पी0यू0 सिर्फ एक प्रोग्राम को ही एक समय में क्रियान्वित करेगा। इस तरह से मल्टी प्रोग्रामिंग के द्वारा सी0पी0यू0 व मेमोरी दोनों का उपयोग ज्यादा अच्छे से हो जाता है।
Tips
(मुख्य बात):-
Program जो कि मेमोरी में स्टोर होते हैं
वे दो तरह के होते हैं:-
(i) Input/Output Bound Program
(ii)CPU Bound Program
(i)
Input/Output Bound Program :-
ऐसे
प्रोग्राम जो कि Office या Commercial Data Processing (जिसमे) कि Records Maintained किये जाते हैं) के लिये बनते हैं, जिनमें इनपुट व आउटपुट डेटा बहुत बड़ी
मात्रा में उपलब्ध रहता है, परंतु Computer के द्वारा प्रोसेस बहुत कम होती है ऐसे
प्रोग्राम इनपुट/आउटपुट फोंड (आधारित) प्रोग्राम कहलाते है जो कि मुख्यतः
इनपुट/आउटपुट से जुड़े रहते हैं।
(ii)
CPU Bound Program :-
कुछ प्रोग्राम
जो खोज या वैज्ञानिक कार्य के लिए बने होते हैं उनमें बहुत बड़ी-बार कठिन गणनाए
होती है किन्तु Input/Output Data बहुत कम होता है CPU Bound Program कहलाते हैं
यहां CPU का बहुत अधिक उपयोग होता है।
3. Multi
Processing
Multi Processing का अर्थ होता है कि कई प्रोसेसर एक ही Computer
के अंदर रहकर प्रक्रिया कर रहे है मूलतः यह सिस्टम की वह Capability
है जो कि एक ही Computer में एक से अधिक सी.पी.यू. का उपयोग कर सकती है।
इस तरह
के सिस्टम में बहुत से प्रोग्राम एक ही समय में अलग-अलग सी.पी.यू. के द्वारा या एक ही
कम्प्युटर के बहुत से Instructions अलग-अलग सी.पी.यू. के द्वारा या एक ही समय में क्रियान्वित किए जा
सकते हैं।
कार्य
क्रियान्वित हेतु Multi Processing System में बहुत से सी.पी.यू. एक साथ Parallel में
जुड़े हुए रहते है और यदि कोई सी.पी.यू. अचानक कार्य करना बंद कर दे तो उसका कार्य स्वतः ही अगला सी.पी.यू. ले लेता है। Multi
Processing Process दो तरह की होती हैं।
(i)
Symmetrical Multi Processing :-
इस प्रक्रिया में एक के बाद एक
प्रत्येक सी.पी.यू. स्वतः ही कार्य ग्रहण कर लेता है।
(ii)
Asymmetrical Multi Processing :-
इस तरह
की प्रोसेस में Programmer ही तय करता है कि कौन सा प्रोसेसर सी.पी.यू. कौन सा कार्य करेगा (जब
सी.पी.यू. सिस्टम
का निर्माण किया जाता है।)
Ø Networking
Operating System
इन
साफ्टवेयर का उपयोग कम्प्युटर का नेटवर्क बनाने के लिए किया जाता है, जिसके द्वारा
कम्प्युटर के बीच संसार कि सुविधा हो (कुछ विशेष हार्डवेयर उपकरणो की मदद इसके उदा. हैं नोवल, नेटवेयर लाइफ
(i)
Multi User/Time Sharing
एक ऐसा
कम्प्युटर सिस्टम जो कि एक से अधिक उपयोगकर्ता को अपने पर कार्य करने की अनुमति
देता है (ऐसा लगता है कि Computer एक ही समय में एक से अधिक
कार्य कर रहा है। परंतु ऐसा होता नहीं है।) एक ही समय में।
अतः
मल्टी यूसर सिस्टम में एक से अधिक उपयोगकर्ता एक ही सी.पी.यू. से जुड़े होते हैं तथा
प्रत्येक उपयोगकर्ता किसी भी वक्त इस सी.पी.यू. से सीधे एक्सेसिंग कर सकता है परंतु यह संभव है
कि बहुत से कार्य एक सी.पी.यू. एक ही समय में एक साथ कर सकता है, नहीं कभी नहीं वास्तव में सी.पी.यू. कार्य को एक के बाद एक
ही करता है लेकिन इसकी गति इतनी अधिक होती है कि जब तक हम कोई डेटा उसे देते है तब
तक यह लाखो कार्य को क्रियान्वित कर देता है।
यदि System time sharing manner में कार्य करता हो (अर्थात प्रत्येक कार्य को
उचित समय देना) तथा वह समयावधि जिस दौरान सी.पी.यू. किसी विशेष उपयोगकर्ता के कार्य को कर देता है
टाइम स्लाट या क्यूटन कहलाती है यह समयावधि (10-20) मिली सेकंड होती है।
1. Active
:-
ऐसा यूसर जिसका प्रोग्राम वर्तमान समय में क्रियान्वित हो रहा है।
2.
Ready :-
ऐसा यूसर जिसका प्रोग्राम या तो
इनपुट/आउटपुट कार्यो में लगा हुआ हो या फिर user अभी कार्य के बारे में सोच रहा
है।
§ स्वेपिंग
:-
§ Time
sharing System में बहुत सारे उपयोग होते है, तथा वे साथ-सांथ कार्य कर रहे होते
हैं, तथा प्रत्येक उपयोगकर्ता का प्रोग्राम मेन मेमोरी में स्टोर होने कि कोशिश
करता है। परन्तु मेन मेमोरी कि Capacity बहुत कम होता है और वह सभी प्रोग्राम को
एक साथ स्टोर नहीं कर सकता है।
एक
निश्चित समय पर reediness program सिर्फ एक्टिव व रेडी प्रोग्राम को ही मेमोरी
में रखते है (जो कि अभी क्रियान्वित होने वाले है) और सभी वेट प्रोग्राम को
सेकेन्डरी मेमोरी में स्थानांतरण कर देते है तथा जब उनकी जरूरत होती है तब उन्हे
पुनः मेन मेमोरी में बुला लेते है। इस तरह से प्रोग्राम में लाने कि प्रोसेस को
स्वेपिंग कहते है।
§ Cash memory :-
समान्यतः
आजकल के माइक्रो प्रोसेसर बहुत ही तीव्र गति पर कार्य करते है इस कारण मेमोरी कि
गति भी तीव्र होना आवश्यक है माइक्रो प्रोसेसर के साथ अधिकतम परंपरागत मेन मेमोरी
का उपयोग किया जाता है जोकि गति में बहुत धीमी व कीमत में सस्ती होती है। इस कारण
से दोनों कि गति में काफी असमानता होती है तथा इस गति कि असमानता को दूर करने के
लिये सी.पी.यू. व मेन मेमोरी के बीच
कैश मेमोरी उपयोग की जाती है।
एक विशेष
टाईप की मेमोरी जिसके Cash Controls होते हैं (एक विशेष
परपस प्रोसेसर) जिसका एकमात्र कार्य कैश मेमोरी को संचालित करना है जैसे Intel
82385 की मदद से संचालित किया जाता है यह तुरंत या बार-बार कार्य में आने वाले
निर्देशों व उनके Address को Store करके कम्प्युटर की गति को बढ़ा कर देती है।
(क्योंकि कैश मेमोरी का एक्सेस टाईप 20 नेनों सेकेण्ड है व मेन मेमोरी का 80 नेनों
सेकेण्ड) कैश मेमोरी कहलाती है।
इस
मेमोरी में जो एक्सेसिंग का तरीका होता है वह मेन मेमोरी के एक्सेसिंग तरीके से
भिन्न होता है जिससे कि सीधे सी.पी.यू. मेन मेमोरी से एक्सेसिंग करता है वह किसी विशेष ऐड्रेस के डेटा को आउटपुट
कर देता है किन्तु कैश मेमोरी में पहले दिये गए ऐड्रेस से मिलता है जो कैश मेमोरी
में है तो हम कह सकते हैं कि “Hit” State आ गयी है और तब इनफारमेशन सीधे माइक्रो
प्रोसेसर में चली जाती है। यदि वह ऐड्रेस कैश मेमोरी में उपस्थित नहीं है तब हम “Miss” अवस्था आ गयी है। अधिकांश
कैश मेमोरी ऐसे निर्देशों व इनफारमेशन को स्टोर करती है जिनको कि तुरंत
क्रियान्वित करना है, और इस तरह से कम्प्युटर कि गति को इंक्रिस करते है, क्योंकि
ये निर्देश व ऐड्रेश (जनरल, मेन) समान्यतः
मेन मेमोरी में स्टोर करते है, जिसकी कि गति धीमी रहती है। इसलिए इन्हे कैश में
स्टोर किया जाता है। परन्तु कैश मेमोरी बहुत मंहगी होती है। इसलिए इसे कम साइज में
उपयोग करते है व कभी-बार इस मेमोरी को सिर्फ निर्देश स्टोर के लिये उपयोग किया
जाता है। ऐड्रेश के लिये नहीं जैसे (Cash memory MC 680201 C)
इसीलिए यह मेमोरी कम्प्युटर की औसत गति बढ़ाती है व औसत एक्सेस टाईप घटाती है। “यह
सेमीकंडक्टर की बनी हुई अत्यंत तिव्र गति की स्म्रति होती है जिनके प्रयोग से
कम्प्युटर का {Performance} बहुत बड़ जाता है, परंतु यह मंहगी भी होती है।”
§ Application
Software
Word Processing के अंतर्गत
1. Ms-Word
2. MS-Excel
3. MS-PowerPoint
आदि एप्लीकेशन साफ्टवायेर आते हैं।
1. Ms-Word
MS-Word एक Word Processing पैकेज है, जिसमे सिम्पल लेटर
से लेकर डेक्स टॉप स्तर तक के सभी कार्य सुविधा पूर्वक किए जा सकते हैं। इसमें हम
टेक्स ही नहीं Graphics तथा Picture भी
सरलता से तैयार कर सकते हैं।
M.S.Word
को संक्षेप में Word भी कहा जाता है। Word की Window में Menu के साथ-साथ Shortcut Key के साथ में Toolbar की सुविधा भी होती है। प्रत्येक Toolbar करने
में कई बटन लगे होते हैं जिनमें से प्रत्येक किसी न किसी Command
को active करने में सहायक होते हैं। Toolbar से किसी
Icon (बटन) को Mouse Pointer
से Click कर देने पर संबंधित Command Active हो जाती है।
उदाहरण-
किसी टेक्स को Bold करना है तो Formatting Toolbar के Icon पर Click कर
देने पर Select किया हुआ Text Bold हो जाता है। इसी प्रकार किसी फ़ाईल को Save तथा Open
भी Standerd Toolbar के Icon पर click कर active किए जा सकते हैं।
Desktop
पब्लिकेशन से संबंधित कार्यो में MS-Word बहुत
महत्वपूर्ण होता है क्योंकि ये [Heading] [अनुक्रमणिका] Index आदि बहुत तेजी से बना सकता है। इसकी विशेषता यह भी है कि जब भी हम
कोई शब्द टाईप करते हैं, तो ये उसके साथ-साथ Spelling check
करता है, तथा गलत पाए गए शब्दो Red line से Underline कर देता है। इसी प्रकार ग्रामर से संबंधित गलतियाँ होने पर Green line से Underline कर देता है। इसमें शब्दो के
समानार्थी शब्दो को Use करने कि सुविधा भी होती है साथ ही MS-Word में Auto Format के द्वारा Document को पुर्वनिर्धारित Format के अनुसार Set किया जा सकता है।
M.S.
Word में एक समान लेटर पाइंट करने के लिए Mail Marge करने के लिए सुविधा होती है, जो हमारे कार्य को और अधिक सरल बना देती
है।
MS-Word के द्वारा हम निम्न कार्य आसानी से कर सकते हैं।
M.S. Word कि विशेषताएँ :-
1. MS-Word में किसी नए Document फ़ाइल को Crate करने Save करने तथा Print करने की सुविधा होती है।
2. टाईप किए गए Text में आवश्यकतानुसार Editting जिसके अंतर्गत text
को cut, copy कर change किया जा सकता है।
3. Document फ़ाईल के text को आवश्यकतानुसार format जिसके अंतर्गत सिलेक्ट test
को bold, underline, font colour, background colour तथा ऐलीमेंट आदि set किए जा
सकते हैं।
4. MS-Word के द्वारा टाईप किए गए
text की speiling तथा grammer check करने की सुविधा होती है साथ ही किसी शब्द का
पर्यायवाची शब्द भी लिया जा सकता है।
5. Auto correct
option के द्वारा बार-बार गलत टाईप होने वाली spelling को Automatically सही करने
की सुविधा होती है।
2. MS-Excel
§ Introduction
Excel MS-Office के अंतर्गत एक ऐसा Programme है, जिससे इलोक्ट्रोनिक स्प्रीड शीट,
Data Base और ग्राफिक्स, चार्ट इत्यादि को प्रभावी ढंग से यूज किया जा सकता है।
एक्सेल में हमें बहुत बढ़ी स्प्रीड शीड मिलती है, जो कि विभिन्न रो तथा कालम में
बंटी होती है, तथा रो और कालम ऐक्रास सेक्शन होने के कारण पूरी वर्कशीट सेल्स
(cells) में बंटी होती है। इन सेल्स में हम डाटा इनपुट कर सकते है तथा इन सेल्स
में दिये गए डाटा पर विभिन्न Mathematically Function को use कर सकते हैं।
MS-Excel की
वर्कशीट पर फोरमेटिंग एडिटिंग से संबंधित सभी कार्य किए जा सकते है, इस सेल्स में
हम डाटा को आवश्यकतानुसार असेंन्डिंग तथा डिसेंन्डिंग Order
में अरेन्ज भी कर सकते हैं।
डेफ़िनेशन आफ वर्कशीत :-
स्प्रीडशीट को सामान्य भाषा में शीट कहा जाता है। इसकी सरंचना विशाल पेपर की तरह
होती है, जो कि विभिन्न रो कालम में विभाजित होती है रो तथा कालम के Cross सेक्शन
से बनने वाले भाग को सेल कहा जाता है। एक वर्कशीट में रो तथा कालम कि संख्या
निम्नानुसार होती है।
1. Row
:-
वर्कशीट की होरीजेन्टल लाईन को रो कहा जाता है। वर्कशीट में इनकी संख्या 256
होती है। पहले कालम का Address A तथा अंतिम रो का नम्बर 16384 होता है।
2. Columns
:-
वर्कशीट वरटिकल Vertical लाईन को कालम कहा जाता है। वर्कशीट में इनकी संख्या
256 होती है। पहले कालम का Address A तथा अंतिम कालम का Address IV आई भी होता है।
3. Cell
:-
रो और कालम के cross सेक्सन से बनने वाले भाग को सेल कहा जाता है। वर्कशीट में
इनकी संख्या 41 94 304 होती है।
4. Cell
Address :-
सेल की पोजीशन डिसप्ले करने के लिए रो और कालम नम्बर बनाया जाता है,
अर्थात यह एक सेल का परटिकूलर Address होता है। पहले सेल का Address A 1 व लास्ट
सेल का Address IV 16384 होगा।
5. Formula
:-
एक से अधिक सेल के डाटा की गणना करने के लिए फोरमूला का यूज किया जाता है। यह
हमेशा बराबर C=1 से शुरू होता है।
6. Function :-
एम एस ऐक्सल में कुछ रेडीमेड फंशन होते है,
जिनका यूज कर हम एक्सेल में केलकुलेशन फास्ट कर सकते है।
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