Fundamental of Computer
Unit-III
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Fundamental of Computer Unit-IV
Fundamental of Computer Unit-V
PROGRAMMING LANGUAGE
§ Difination
of Programme
किसी कार्य विशेष को कम्प्यूटर द्वारा कराने अथवा करने के लिये कम्प्यूटर को समझ में आने वाली Language में निश्चित क्रम में दिए गए निर्देशों के ग्रुप को प्रोग्राम कहा जाता है।
§ Computer
अपनी language किस प्रकार समजता है?
Computer केवल Machine Language ही समझना है विभिन्न Programming Language
में लिखे गये प्रोग्राम में निर्देशों को Assembler, Compiler
अथवा Interpreter
मदद से मशीन लैग्वैज की मदद से मशीन लैग्वैज में बदलकर कम्प्यूटर के माइक्रो प्रोसेसर में भेजा जाता है। तभी कम्प्यूटर इन निर्देशों का पालन करके उपयुक्त रिजल्ट प्रस्तुत करता है।
Machine Language मात्र Binary number अर्थात 0 एवं 1 के ग्रुप में बनी होती है।
जिसे कम्प्यूटर का माईक्रो प्रोसेसर सीधे समझ सकता है। जब हम Computer पर काई भी निर्देश किसी इनपुट Unit के माध्यम से देते है देते है, तो कम्प्यूटर इन निर्देशों को आस्की कोड में Change कर समझता है निर्देश देने के लिये हमें सामान्यतः words, numbers
& symbols की Key को Keyboard पर दबाना होता है। और कम्प्यूटर स्वतः ही इसे अपनी भाषा में बदल लेता है।
§ Computer
Programming Language
Language, Communication का एक माध्यम है हम सामान्यतया हिन्दी अंग्रेजी अथवा अपनी मातृभाषा में अपने विचारों एवं भावनांओं को दूसरे के सामने व्यक्त करते हैं। इसी प्रकार “Computer Programming language Computer और Programmer के मध्य Communication
का एक माध्यम है। Computer programming language मदद से प्रोग्रामर कम्प्यूटर को यह बताता है कि उसे कब किस परिस्थिति में क्या और कैसे करना है अथवा नहीं करना है।
सभी Language में विशेष चिन्हों का ग्रुप होता है जिससे Language
का द्वारा व्यक्त विचारों को समझा जाता है। ये चिन्ह Language
का शब्द भंडार कहलाते हैं जैसे हिन्दी भाषा में उपयोग किये गये शब्द हिन्दी भाषा के चिन्ह है प्रत्येक शब्द का अपना एक विशेष अर्थ होता है जिसे कि हम प्रामाणिक शब्दकोष (Dictionary) से जान सकते हैं। इसी प्रकार प्रत्येक कम्प्यूटर प्रोगामिंग लैग्वेज का अपना एक न शब्द भंडार होता है। और इंस भंडार में दिए गए चिन्ह का एक निश्चित अर्थ होता है जिसे कि लैग्वेज के मेनवल से ज्ञात किया जा सकता है Computer
Programming Language में प्रयुक्त प्रत्येक चिन्ह का उपयोग कम्प्यूटर को विशिष्ट कार्य करने का निर्देश देता।
·
परिभाषा :-
“Computer द्वारा कोई कार्य विशेष करने के हेतु अपने कार्य संबंधी निर्दश Computer को सूचित करने के लिए एक विशेष नियमबद्ध तकनीक का सटीक प्रयोग करना होता है यह नियमबद्ध विशेष तकनीक ही Computer
Programming Language कहलाती है।
Computer
Programming Language दो प्रकार की होती है।
1. Low
Level Language
2. High
Level Language
1. Low Level language
जिस भाषा में प्रत्येक कथन सीधे एक मशीन कोड में Change हो सके उसे लो लेवल लैग्वेज कहते हैं। मशीन व असेम्बल लैग्वेज इसके उदा. हैं।
·
1.Machine Language:-
Computer Programming Machine Language को निम्न प्रकार समझा जो सकता है।
वह एक मात्र Computer
Programming language जो कि कम्प्यूटर के समझने के लिए किसी अनुवादक Programmer का प्रयोग नही करना होता है। इसे Computer आधारभूत लैग्वेज है। यह केवल 0 से 1 दो अंको के प्रयोग से निर्मित श्रंखला से लिखी जाती है। कम्प्यूटर का परिपथ इस इस प्रकार तैयार किया जाता है कि यह मशीन लैग्वेज को तुरंत पहचान लेता है और इसे इलेक्ट्रिक संकेत में परिवर्तित देता है इलेक्ट्रिक संकेतो की दो अवस्थांए होती है। “High & Low”
1 का अर्थ है pulse अथवा high
और 0 का अर्थ है No pulse. Low Machine language में प्रत्येक निर्देश कदो भागों होते है पहला क्रिया संकेत अथवा ओपकोड और दूसरा स्थिति संकेत (Location Code) Operand
क्रिया संकेत (operation code computer) यह बताता है कि क्या करना है और स्थिति संकेत यह बताता है कि आंकड़े (डेटा) कहां से प्राप्त करना है कहां संग्रहित करना है अथवा अन्य कोई निर्देश जिसका कि दक्षता से पालन किया जाना है। संकेतों को 0 और 1 की श्रंखला में ही व्यक्त किया जा सकता है।
मशीन लैग्वेज में प्रोग्राम लिखना एक कठिन और अत्यधिक समय लगाने वाला कार्य है इसलिए वर्तमान में इस भाषा मे प्रोग्राम लिखना के कार्य नगण्य है।
§ Disadvantage
of Machine language :-
1.
Machine language :-
Machine language machine dependent होती है। क्योंकि प्रत्येक Computer
दूसरे अन्य Computer से भिन्न होता है जैसे ए.एल.यू.,सी.यू. आदि की डिजाइन इनके साईज वर्ड आदि अलग-अलग Computer की अलग-अलग होती है। अतः एक ही काम को करने के लिये अलग-अलग सिस्टम के लिये अलग-अलग प्रोग्राम लिखने पड़ते हैं।
2. Difficult to Programmed:-
Machine Language में लिखे प्रोग्राम 0 एवं 1 के फार्म में होते है। अतः मशीन लैग्वेज में प्रोग्राम लिखना कठिन होता है।
3.
Difficult to modify :-
Machine Language के Programmed binary के फार्म में होने के कारण उन्हे Modify करना कठिन होता है।
(ii) Assembly Language :-
मशीन लैग्वेज द्वारा प्रोग्राम तैयार करने में आने वाली कठिनाई को दूर करने हेतु कम्प्यूटर वैज्ञानिक ने एक अन्य कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग लैग्वेज का निर्माण किया है। इंस कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग लैग्वेज को Assembly language नाम दिया गया है।
Computer Programming language के विकास का पहला कदम यह था कि मशीन लैग्वेज के numeric operation
code के स्थान पर अक्षर चिह्न स्मरणोपकारी (letter, symbols) का प्रयोग किया गया।
स्मरणोपकारी (Mnemonics) का अर्थ है एसी युक्ति जो हमारी स्मृति मे वर्द्धन करे जैसे घटाने के लिए मशीन लैग्वेंज में द्वि अंकीय प्रणाली (बायनरी सिस्टम) में
और दशमवल प्रणाली (डेसीवल सिस्टम) में 15 का प्रयोग किया जाए तो इससे प्रोग्राम के समय में सरलता आ जाएगी।
§ परिभाषिक
शब्दों में:-
“वह Computer programming Language जिसमें Machine
language में प्रयुक्त अंकीय symbols
(Numeric Codes) के स्थान पर अक्षर अथवा चिन्हों का प्रयोग किया जाता है। Assembly
language or Symbol language कहलाती है।”
Assembly language में मशीन कोड के स्थान पर ‘‘नेमोनिक कोड” का प्रयोग किया गया जिन्हे मानव मस्तिष्क आसानी से पहचान सकता था जैसे L.D.A. (Load), Tran
(Translation) J.M.P (Jump) एवं इसी प्रकार के कई अन्य नेमोनिक कोड जिन्हे आसानी से पहचाना व याद रखा जा सकता था इनमें से प्रत्येक के लिये एक मशीन कोड भी निर्धारित किया गया पर असम्बली कोड से मशीन कोड में चेंज करने का काम कम्प्यूटर में ही स्थित एक प्रोग्रामिंग को असस्बली नाम दिया गया। यह एक अनुवादक की भांती कार्य करता है। मशीन लैग्वेज भी कहा जाता है।
§ Advantages
of Assembly Language :-
दो संख्याओं ए और बी कों जोड़कर परिणाम को सी में स्टोर करके सी केी कीमत को प्रिंट करने के लिये प्रोग्राम लिखना
CLA =
A (PRINT A)
ADD = B (ADD B)
STA = C (STORE THE RESULT OF C)
TIP = HALT (END)
Assembly language में लिखे गये इन symbols को मेमारी कोड कहते हैं। इस प्रकार Assembly language में symbols के रूप में प्रोग्रामर्स लिख लिये जाते थे। जो कि समझने में आसान थे। फिर इन प्रोग्राम को Assembly की सहयता से Machine language में बदल दिया जाता है।
1. Easier
to understand and use :-
Assembly langauge प्रत्येक
operation के लिए symbol होती है। अतः सह समझने में आसान होती है।
2. Easy
to locate errors :-
Assembly language में लिखे प्रोग्राम
में यदि कोई गलती है तो प्रोग्राम में से उन Error को ढूंढकर उन्हे
रीमूव कर सकते हैं।
3. Easy
to programming & Modification :-
Assembly Language में
प्रोग्रामिंग करना आसान है और प्रोग्रामिंग में Modification करना भी आसान है।
4. Time
shaving :-
Assembly language में प्रोग्राम लिखने में समय की भी बचत होती है।
5. Time
shaving :-
Assembly language में प्रोग्राम
लिखने से समय की भी बचत होती है।
6. Numbers
of memory location :-
Machine language की संख्याए याद
करना बहुत कठिन होता है assembly language में लिखते हुए मेमोरी location
की संख्याओं की जगह Num -1 या जैसे कोड होते हैं
जिन्हे याद रखना बहुत आसान है।
§ Disadvantage
of Assembly Language :-
1. Machine language की तरह Assembly language भी machine
dependent होती है।
2. Knowledge
of Hardware :- Assembly Language का अच्छा Knowledge होना अत्यंत आवश्यक है।
3. इसे
छोटे माइक्रो प्रासेसर या कम्प्यूटर में प्रयोग नही किया जाता है।
4. Assembly language के प्रोग्राम की
दक्षता Machine language के प्रोग्राम की दक्षता से कम होती है।
5. Assembly language Machine language से कम तथा High level language कहलाती है । ये दोनों
भाषा machine पर आधारित होती है।
§ High
Level Language
Low level Programming language अर्थात मशीन लैग्वेज और असेम्बली लैग्वेज द्वारा प्रोग्राम तैयार करने में आने वाली कठिनाइयों को देखते हुए कम्प्यूटर वैज्ञानिक इस शोध में जुट गए कि अब इस प्रकार की प्रोग्रामिंग लैग्वेज तैयार की जानी चाहिए जो कि कम्प्युटर मशीन पर निर्भर न हो Computer
Programming language के विकास का यह अगला कदम था, Assembler के स्थान पर Compiler और Interpreter का विकास किया गया। अब कम्प्यूटर प्रोग्राम लिखने के लिये मशीन लैग्वेज को अंकीय क्रियान्वयन सेम्बाल के स्थान पर अक्षर स्मरणोपकारी का प्रयोग किया गया।
“कम्प्यूटर में प्रयोग की जाने वाली वह भाषा जिसमें इंग्लिश लेटर, नंबर एवं चिन्हो का प्रयोग करके प्रोग्राम लिखा जाता है। उसे हाई लेवल लैग्वेज कहा जाता है।
इस भाषा में प्रोग्राम लिखना प्रोग्रामर के लिये बहुत ही आसान होता है क्योंकि इसमें किसी भी निर्देश को मशीन कोड (बाईनरी कोड) में बदलकर लिखने की आवश्यकता नहीं होती। जैसे बेसिक, कोबोल, पासकल अब तो हाई लेवल प्रोग्रामिंग लैग्वेज का अत्यंत विकास हो चुका है कुछ मुख्य हाई लेवल लैग्वेज के नाम निम्नलिखित है।
1. Fort-Ran
2. Cobol
3. Basic
4. Pascal
5. C
6. C++
7. Visual
Basic
§ Advantages
of High level language
1. Machine
independent :-
High level language machine independent
language है अतः वे प्रोग्रामर कम्प्यूटर पर भी कार्य कर सकता है। जिसका
Internal structure उसे पता नहीं है।
2. Easy to
Learn & use :-
High level language में लिखे गये
instruction general English & Mathematical symbol के रूप में होते
है।
3. Easy to
locate errors :-
जब हाई लेवल लैग्वेज में प्रोग्राम
मशीन लैग्वेज के प्रोग्राम में कन्वर्ट होता है। तब कम्प्यूटर स्वयं ही अंत में Error की लिस्ट दे देता है।
4. Better
documentation :-
High level language में लिखे Statement
साधारण इंग्लिश के रूप में होता है। अतः प्रोग्राम को रीड करके यह पता
लगाया जा सकता है। यह प्रोग्राम किस उद्देश्य से लिखा गया है।
5. Easy to
maintain :-
High level language में लिखे प्रोग्राम
में errors उन्हे modify करना, प्रोग्राम में कोई Measure change करना बहुत ही आसान
होता है अर्थात हाई लेवल को आसानी से मेनटेन किया जा सकता है।
§ Disadvantage:-
1. High
level में Program को रन कराने के लिये मेन मेमोरी
ज्यादा होना चाहिये, क्योंकि प्रत्येक symbols के अनुसार मशीन कोड मेन मेमोरी में ही स्टोर रहते हैं।
2. High
level language के program run होने में ज्यादा
समय लेते हैं।
§ Translator
(अनुवादक)
Computer मात्र बायनरी कोड अर्थात 0 एवं 1 को ही समझता है मशीन कोड के अतिरिक्त अन्य सभी प्रोग्रामिंग लैग्वेज में 0 एवं 1 के अतिरिक्त अन्य अंक व अक्षरो को बायनरी कोड में अनुवादित कर देता है। ताकि कम्प्यूटर दिये गये निर्देशों को समझकर उनके अनुसार विश्लेषण कर सही परिणाम प्रस्तुत कर चुकें। प्राप्त परिणाम भी चूंकी बायनरी कोठ में होते हैं अतः अनुवादक इन्हें मशीनी भाषा में अनुवादित कर देता है:-
अनुवादक तीन प्रकार के होते है:-
1. असेम्बलर
2. कम्पाईलर
3. इंटरप्रीटर
1. असम्बलेर:-
असम्बलर भाषा में लिखें गये प्रोग्राम को मशीनी लैग्वेज में बदलने में कम्प्यूटर जिस साफ्टवेयर का अनुवादक के रुप में प्रयोग करता है असेम्बलेर कहलाते है। असेम्बलेर का मुख्य कार्य असेम्बली भाषा को मशीनी भाषा में बदलकर प्रोसेसर को भेजना एवं प्राप्त विश्लेषित परिणामों को पुनः मशीन लैग्वेज से असम्बली भाषा में बदलना है।
2. कम्पाईलर:-
हाई लेवल लैग्वेज में लिखे प्रोग्राम को मशीन लैग्वेज में ट्रांसलेट करने के लिये कम्प्यूटर जिस साफ्टवेयर का Translator के रूप में प्रयोग करता है Computer कहलाता है। कम्पाईलर का मुख्य कार्य हाई लेवल लैग्वेज को मशीन लैग्वेज में बदल कर प्रोसेसर को भेजना व विश्लेषिति परिणाम को पुनः मशीन लैग्वेज से हाई लेवल लैग्वेज से हाई लेवल लैग्वेज में परिवर्तित करना है।
3. इन्टरप्रीटर:-
इन्टरप्रीटर एक प्रोग्राम होता है जो कि कम्पाईलर की भांती ही कार्य करता है। यह प्रोग्राम को लोड में परिवर्तित करता है।
§ Difference
in Cmopiler ओर Interpreter
Computer पूरे प्रोग्राम के प्रविष्ठ होने के पश्चात उसे मशीन लैग्वेज में परिवर्तित करता है जबकी Interpreter high level
language में लिखे गये प्रोग्राम की प्रत्येक लाईन को कम्प्यूटर में प्रविष्ट होते ही उसे मशीन लैगवेज में परिवर्तित कर लेता है अतः ऐसी high level programming language जिसमें की Compiler का प्रयोग होता है प्रोग्राम को लिखने के बाद प्रोग्राम में Compiler
को Load किया जाता है जबकी ऐसी भाषा में प्रोग्राम लिखे जाने पर जिसमें की Interpreter का प्रयोग होना है सी Program लिखने से पूर्व ही Interpreter को लोड किया जाता है “C” language में Program
और बेसिक में Interpreter का प्रयोग होता है।
§ FORTH
GENRAL LANGUAGE/4GL
4GL एवं इससे पहले की लैग्वेज में मुख्य अंतर यह हैं कि पहले की सभी लैग्वेज मुख्य रूप से Programs language हैं जबकि 4GL लैग्वेज मूल रूप से Software Package है। इसमें प्रोग्रामिंग लैग्वेज के अनुसार कोड नहीं लिखने पड़ते हैं, जबकि पैकेज यूसर को एसी सुविधा प्रदान करते हैं कि यूसर बगैर प्रोग्रामिंग कोड के कम्प्यूटर पर काम कर सकता है।
बजार में उपलब्ध डेटा बस पैकेज स्प्रेड शीट पैकेज इसी श्रेणी में आते हैं। अधिकतर प्रोग्राम इस भाषा को तृतीय भाषा का आसान रूप मानते हैं। इस भाषा तृतीय जनरेशन लैग्वेज की तरह कार्यविधिक नही है। अर्थात तृतीय प्रजनम भाषा को अगर एक प्रोग्रामर किसी छोटे कार्य करवाने के लिये प्रोग्राम बनाता है तो उसे एक पूरी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है परन्तु 4GL में उसी कार्य के लिये प्रोग्रामर को अपने प्रोग्राम में कम्प्यूटर को छोटा सा निर्देश देना पड़ेगा। यह भाषा अधिकतर एप्लीकेशन प्रोग्रामिंग के लिये प्रयोग में लायी जाती है। इस भाषा का प्रयोग ऑफिस और व्यापार उधयोग के लिये साफ्टवेयर बनाने के लिये भी किया जाता है। इस भाषा को प्रत्येक व्यक्ति जल्दी से सीख सकता है। और उस भाषा से बनाये गये साफ्टवेयर पर आसानी से कार्य कर सकता है।
§ Advantage
of 4GL
1. ये आसानी से समझी
व सीखे जा सकती है।
2. यूसर को कोई भी काम
करने के लिये बड़े-2 प्रोग्राम नही बनाने पड़ते है।
3. ये 4GL से तेजी से काम करती है।
4. बहुत से प्रोफेसनल
व्यक्ति जिन्हे कम्प्यूटर का ज्यादा ज्ञान नही है वे भी इस पर आसानी से काम कर सकते
हैं।
5. प्रोग्रामर को प्रोग्राम
लिखने में बहुत कम समय लगता है।
Limitation:-
इन्हे जिस
परपस के लिये बनाया गया है, सिर्फ वे ही कार्य किये जा सकते हैं।
जैसे एक स्पीड शीट प्रोग्राम पर डेटा बेस मैनेज नहीं किया जा सकता है।
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