Fundamental of Computer
Unit-I
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fundamental-of-computer-unit-I |
Fundamental of Computer Unit-II
Fundamental of Computer Unit-III
Fundamental of Computer Unit-IV
Fundamental of Computer Unit-V
Introduction
आज के युग में Computer हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग हैं। इलेक्ट्र्निक
डिवाइस है जो सुचनाओं को प्राप्त कर कुछ, निर्देशो के अनुसार उनका विश्लेषण करके परिणाम देता है। Computer की अपनी काई बुध्दि नहीं होती लेकिन आजकल Computer में क्रत्रिम बुध्दि विकसित करने के प्रयास किए जा रहै हैं लेकीन अभी तक के सभी Computer निर्देशो का पालन करके ही दिये जाऐ तो यह उन्हें सही प्र्रोसेस कर सही परिणाम देता है। गलती तभी संभव हैं जब गलत Input दिये जाएँ।
कम्प्यूटर शब्द की उत्पत्र्ति
इंग्लिश के कम्प्यूटर शब्द से हुई है। जिसका अर्थ होता है केलकूलेशन करना
‘‘अतः यह तो स्पष्ट है कि कम्प्यूटर का Direct Relation Calculation करने वाली मशीन से है लेकिन इसकी आवश्यकता क्यों हुई?
मनुष्य प्राचीन काल से ही गणना करने में समर्थ था, पहले मनुष्य गणना के लिए अपनी अंगुलिओ का प्रयोग करता था। परन्तु तकनीकी विकास में तीव्र गणना की मांग थी,
साथ ही Calculation करने के लिए किसी Calculation Machine की आवश्यकता हुई ।
सन् 1942 से बेलिस्टीक लेब में School of
Electrical इंजीन्यरिंग
Engineering
तथा अमेरिकी फोर्स ने एक साथ मिलकर कार्य करना आरंभ किया इनके द्धारा सन्
1946 में निर्मित Computer तेजी से तथा सही Calculation करने में सक्षम था किंतु यह काफी बड़ा था।
प्रांरम में Computer का Use मूल रुप से Calculation Work करने के लिए ही हुआ। किन्तु Present में इसका Working
area अधिक विस्त्रत हो गया है। आज के संदर्भ में यह कहना गलत होगा कि Computer सिर्फ एक Calculation
करने वाली मशीन है। बल्कि आज Computer पर कई ऐसे कार्यो को भी किया जा सकता है, जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती।
Computer System
Computer आज हमारे जीवन के कई क्षेत्रों में प्रवेश कर चुका है। प्रतिदिन के कार्यो में Computer की उपयोगिता बढती जा रही है। हर महीने Computer से तैयार किये गये बिजली के बिल हमारे घर आते हैं। स्कुल काँलेज के विघार्थी परिणाम Computer द्धारा बनाई हुई मार्कशीट को प्राप्त करते हैं। कई बड़े शहरों में Train
Ticket भी अब Computer के माध्यम से ही दिए जाते हैं। हवाई यात्रा के भी Ticket Computer से प्राप्त किये जाते हैं। आज हर जगह में प्रतिदिन Computer का ही उपयोग होता है।
System
Characteristics and Capabilities
Ø CHARACTERISITICS
OF COMPUTER SYSTEM
1. SPEED :-
Computer का सबसे ज्यादा महत्व तेजी से काम करने वाली क्षमता के कारण है। उसके द्वारा इतनी तेजी से गणनाऐं की जा सकती है कि प्राप्त परिणामों के बाद निश्चत रुप से कुछ समय भविष्य की तैयारी के लिए समय मिल सकता है ।
सामान्य Computer Second के एक लाख वे हिस्से यानि Micro Second (10-6) Second में काम करते हैं । अत्याधुनिक Computer तो नेनो सेकेण्ड (10-9) सेकेण्ड तथा पीको सेकेण्ड (10-12) तक में कार्य करते हैं। कोई भी शक्तिशाली Computer 18 अंको वाली दो संख्याओं को मात्र 300 से 400 नेनो सेकेण्ड में जोड़ सकता है ।
2. STORAGE:-
Computer में हमे दिये गये डाटा या दिये कार्य को Computer अपनी Memory में संग्रह कर रख सकता है,
जिसे भविष्य में उपयोग किया जा सकता है। Computer की संग्रहण क्षमता किलो बाईट, मेगा
बाईट एवं गीगा बाईट में आंकी जाती है। आवश्यकता पड़ने पर कुछ सेकेण्ड में सारी जानकारी को पुनः उपलब्ध करा सकता है।
3. Accuracy:-
Computer की त्रुटियों के बारे में हम प्रायः अखबारों में पढते रहते हैं। लेकिन यह भी सत्य है कि Computer बहुत कम गलतियां करते हैं। वे काफी हद तक शुध्द परिणाम देते हैं,
अशुध्दियां प्राय मानवीय कारणों से ही होती हैं, वे तब, जब गलत डेटा दिया या Programmer द्धारा समुचित सावधानियां Program लिखते समय ना रखी गई हों प्राय Computer के परिणाम 100% शुध ही प्राप्त होते हैं।
4. Versayliti
(व्यापक उपयोगिता ):-
Computerद्धारा संपादित कार्यो की व्यापकता दिनो-दिन बढती जा रही है, कोई भी जटिल कार्य Computer पर कराने के लिए कार्य को इस तरत संपादित किया जाता है कि उसे निश्चत क्रम से बांधा जा सके मूलतः Computer केवल 4 कार्य करता है:-
Introduction
of Computers
·
Input- Output उपकरणों से डेटा का आदान - प्रदान करना
·
डेटा का आंतरिक स्थानातरण
·
Numeric Calculation (अंकगणितीय गणना)
·
Data Comparing (डाटा की तुलनात्मक विवेचना)
5. Automation (स्वचालकता):-
एक बार प्रोग्राम एवं डेटा तैयार हो जाने एवं त्रुटिरहित हो जाने पर उसे Computer पर चलाया जा सकता है उसे Computer पर स्टोर कर चला देने के बाद बार-बार मानवीय सहायता की आवश्यकता नही होती वह Step by Step निर्देशों को Run करता चला जाता है एवं Accurate
Result निकाल कर Output उपकरण पर Display कर देता है ।
6. Capability (सक्षमता):-
Computer एक EDP (Electronic data processing) मशीन है अतः उसमें Work
Load अधिक होने पर भी वह कभी थकता नहीं है। यदि उचित वातावरण में इसे उपयोग में लाया जाए तो बहुत ही सक्षमता से कार्य कर सकता है। Human Brain से यदि लगातार कार्य कराया जाए तो एक समय के बाद थकावट आ जाती है। और एकाग्रता भंग होने लगती है। परंतु
Computer
को Milions Calculation करने को भी दिये जाए तो Last Calculation भी वह उसी प्रकार जिस First Calculation किया है।
7. Repetitiveness
:-
जब किसी कार्य विशेष से संबंधित निर्देशों का समूह एक बार Computer को स्थायी रुप से दे दिया जाता है तब Computer उस कार्य को कितनी बार भी दोहरा सकता है। जब तक हम चाहेगें।
CAPABILITIES AND LIMITATION
1. Capabilities:-
प्रारंभ में Computer का उपयोग मूलतः गणना कार्यो के लिए ही हुआ था, परंतु आजकल इसका कार्यक्षेत्र
काफी विस्त्रत एवं व्यापक हो चुका है Computer सभी कार्य संपादित करता है बल्कि उससे कही अधीक Fast और Capacity के साथ वह कार्य कर सकता है। Computer के निम्नलिखित कार्य है:-
कार्य
(उपयोग)
1. Scientific
Research तथा development Organization (विकास अनुसंधानद्)
2. एवं खोज के प्रत्येक क्षेत्र में Computer Calculation तथा Information
को सही तरीके से रखने से सहायता करता है।
उपयोग व व्यावसाय के क्षेत्र में
Computer
का महत्व बहुत अधिक है।
3. बैंक के प्रतिदिन के कार्यो तथा जटिल गणना के क्षेत्र में बिना किसी गलती के Speedily Work करने में सक्षम है।
4. सरकार के कार्यो में Computer
भी काफी हद तक सहायता करते है। विशेष रुप से राजस्व जैसे जटिल एवं उलझे हुए क्षेत्र में करदाताओं तथा कर अधिकारियों का कार्य करने में सहायक सिध्द होते हैं।
5. यातायात एवं परिवहन के क्षेत्र में आजकल रेलवे रिर्जवेशन एअर टिकिट रिर्जवेशन और भी कई सारे कार्य Computer
की मदद से प्रयोग हो रहा है।
6. शिक्षा
क्षेत्र में भी Computer का व्यापकता से प्रयोग हो रहा है।
7. मौसम की भविष्यवाणियाँ आज पूरी तरह से Computer Satellite पर निर्भर करती हैं और मौसम के बारे में सभी जानकारी एकत्रित कर हमें देती हैं।
Limitation
1. No॰ I॰Q.:-
Computer कोई Magic
Machine नहीं है यह केवल Users द्धारा चाहा गया कोई कार्य Fast एवं अधिक क्षमता के साथ Without
Mistek कर सकता है। उसके पास स्वयं का Brain नही होता है। उसका 1. Q. शून्य होता है। Computer
स्वयं निर्णय नही ले सकता है। Computer
सिर्फ वह कार्य perform कर सकता है। यह रहता है कि Computer उनके कार्य को अकल्पीनय गति और तार्किकता से करता है उसकी खुद की बुध्दिमता नहीं होती। उसे यह बताना पड़ता है कि उसे क्या करना है कि क्रम में करना है। अतः सिर्फ उपयोगकर्त्ता ही यह पता कर सकता है कि Computer किस कार्य को Perform करता है Computer खुद कोई ले सकता है।
2. No. Feelings :-
Computer में भावनांए नहीं होती हैं। उसकी कोई Feeling और अन्तः प्रेरणा नहीं होती क्योंकि मानव के विचारों, ज्ञान व अनुभवनों पर आधारित एक Machine है। हम दैनिक जीवन में प्रायः कुछ न कुछ निर्णय लेते हैं, लेकिन Computer खुद के कोई निर्णय नहीं ले सकता। Computer भावशून्य होता है।
3. Power Dependent:-
Computer को किसी ना किसी रुप में Power की आवश्यकता होती है बिना Power के काम नहीं कर सकता है।
Type of Computer
Classification
of Computer according to speed There are three of Computer:-
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1॰ Analog Computer:-
किसी भी भौतिक क्रिया का प्रारुप बनाकर इस क्रिया को निरंतर सुचारु रुप से जारी रखने के निर्देश देने के लिए इस Computer का उपयोग किया जाता है। मुख्य रुप से इसका उपयोग वैज्ञानिक इंजिनियरिंग कार्यो को करने के लिए व्यावसायिक लैब खोज के कार्यो के लिए किया जाता है। इंस Computer
से मौसम की जानकारी व भूकंप की तीव्रता मापी जाती है।
Analog Computer “How Much” (मात्रा में कितना) के आधार पर किसी प्रश्न का उत्तर देता है । इसमें इनपुट नंबर डिजिट या केरेक्टर न होकर भौतिक रांशियां होती है। जैसे तापमान दाब, गति,
वेग,
त्वरण द्रव्यमान, आदि इसमें इनपुट हमेशा सतत् रुप में होता है।
Example of Use:-
ये Computer विशेष रुप से औधोगिक क्षेत्रों में उपयोग के लिए बनाये जाते है जैसे पेट्रोलियम रिफायनरीज, रासायनिक प्लाण्ट, इलेक्ट्रानिक पावर प्लाण्ट आदि में एनालाग थर्मामीटर, प्रशर गेज,
स्पीडोमीटर, इलेक्टिीसीटी, मीटर वजन नापने की मशीन इत्यादि के रुप में प्रयोग किया जाता है।
Digital Computer मत किसी चीज की गणना करके “How Many” के
सिद्धान्त
पर किसी प्रश्न का उत्तर देता है ।
Arethematic Characters के लिए इन Computer का
उपयोग किया जाता है। इसमे Data Number, Characters व Digit के रुप मे होता है। जो हमेशा ही सतत् नहीं होती है इसका प्रयोग वाणिजय क्षेत्रों में भी किया जाता है। इसमें केवल नम्बर से संबंधित कार्य व गणनाऐं ही की जा सकती है। जैसे S॰T॰D॰ Bill Machine Code, Calculator आदि। Digital Computer को दो भागों में बाटा गया है।
v Special Purpose Computer:-
v General Purpose Computer:-
v Special Purpose
Computer:-
ये Computer किसी विशेष डेटा प्रोसेसिंग कार्य के लिए बनाये जाते है। जो निर्देश इस विशेष कार्य को करने के लिए जरुरी होते है इन्हे मशीन की Memory में ही स्थायी रुप से संग्रह कर लिया जाता है।
Ø उपयोग:-
इसका उपयोग विशेष रुप से अंतरिक्ष कार्यो जैसे एअर क्राप्टस में, सेलेलाईट में अंतरिक्ष जहाजों में तथा नाभीकीय कार्य जैसे - पानी के जाहाजों में, पनडुब्बियों आदि में होता है ।
“सामान्यतः General Computer 4 प्रकार के होते हैं”:-
1 ॰Micro Computer:-
ये एक बहुउद्देशीय सबसे छोटा संपूर्ण Computer System होता है जिसमें संपूर्ण सी॰पी॰यू॰ एक अकेले चिप जिसे “ माइक्रो प्रोसेसर” कहा जाता है, में ही समाहीत होता है। इसमें एक समय में केवल एक उपयोगकर्त्ता
कार्य कर सकता है। Micro Computer 7 के दशक के अंत में बनाये गये थे। पहला Micro Computer 8 Bits माइक्रो प्रोसेसर द्वारा निर्मित किया गया। 8 बिट्स चिप से अभिप्राय है कि यह चिप उन समय में 8 बिट के आकड़े (Data) एवं निर्देशों का ग्रहण, संचय व्यवस्थित और उन पर प्रक्रिया कर सकता है। कुछ 8 बिट माइक्रो प्रोसेसर चिप है। Intel 8080, MC 6809, Zilog 280 आदि इनका उपयोग।
Accounting Railway ITC॰ कार्यो के लिए किया जाता है इनकी Storage Capacity
Speed कम होती है।
1. Size :-Portable, Desktop, and I lour
Standard Micro Computer
2. Configuration :- Word Length – 8-34 bits
Ram-640KB – 64 MB
MIPS – 1-112
Hard Disk (HDD) – 10MB – 12 GB
Floppy Disk (FDD) - 5.25 or 3.50
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2॰ Mini
Computers :-
Mini Computers 80 दके दशक में तैयार किये गये सिस्टम थें। Mini
Computers का आकार Micro
Computers की अपेक्षा बड़ा होता है एवं क्षमता अधिक होती है। इसमें Word, Length 32 Bits, Ram 8 MB to 96 MB and MIPS
(Mega Instruction Per Second) 10.30 होती है।
इसकी हार्ड डिस्क की क्षमता 380 MB से 36 GB तक एवं सी॰पी॰यू॰ की गति 68030 या 68040 होती है।
इनका उपयोग Departmental System Network Servers, Engineering Work, Station Work Group (as Lan Connection) System and Application System आदि के लिए किया जाता है।
3. Mainframe Computer :-
Mini Computer की तुलना में अधिक Memory
Capacity रखने वाल व अधिक तेजी से कार्य करने वाला कम्प्यूटर होता है। यह कम्प्यूटर अधिकतर AC में ही उपयोग होता है ।
Word length, 32.48 bits Storage
Capacity 2 MB- 16 MB
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4. Super Computer
:-
यह Computer अन्य Computer की अपेक्षा लगभग 10 गुना अधिक गति से कार्य करते है। इस प्रकार के Computer बहुत कीमती होते है इसका उपयोग मुख्य रूप से वैज्ञानिक क्षेत्र में होता है जैसे मौसम की जानकारी, परमाणु बम,
मिसाईल लाचिंग आदि में किया जाता है इस प्रकार के Computer या तो बहुत बड़ी कंपनियों या किसी देश की सरकार के काम आते है,
इस प्रकार के Computer भारत में दो है:-
1. परम
1
2. अनुराग
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v General Purpose Computer:-
ये Computer अनेक कार्य करने के लिए बनाए गये हैं तथा प्रत्येक कार्य से संबंधित निर्देश मशीन की मेमोरी में स्थायी रूप से संग्रह नहीं किये जाते हैं। बल्की उन्हे इनपुट मेमोरी डिवाईस उपकरण से पढा जाता है। और वे तब मेमोरी तक मेमोरी में रखे जाते है जबकि उनसे संबधित कार्य खत्म नहीं हो जाता।
Ø उपयोग:-
ये Computer सभी प्रकार के आफिस कार्यो, व्यावसायिक कार्यो, व गणितीय कार्यो इत्यादि में प्रयोग किए जाते है ।
इसके अंतर्गत ऐसे Computer आते है जिनमें ऐनालाग व डिजीटल दोनों प्रकार कार्य किये जा सकते है । एनालाग व डिजीटल Computer का मिला हुआ रुप Hybrid Computer कहलाता है ।
Classification of Computer According to Use
1. Laptop PCs :-
Laptop PCs (जो की नोट बुक कम्प्यूटर के नाम से भी जाना जाता है।)
जो छोटा Computer
होता है और जिसका वजन 2 कि॰ग्रा॰ से 4 कि0ग्रा0 तक होता है। ये कीर्बोड फलेट स्क्रीन पर (Liquid Crystal Display) and 80486
or Pentium or Power PC Processor का उपयोग करते हैं। कलर Display भी उपलब्ध हैं। इस पर सामान्यतः
MS-DOS
तथा Windows आपरेटिंग सिस्टम होता है। Laptop में हार्ड डिस्क और फ्लोपी डिस्क दोनो होती हैं। यह बैटरी से भी रन होते हैं, और Energy को Conserve करते है। बहुत से Laptop Network से भी Connect होते है।
Warless
Connectivity को Laptop के साथ Provide करने पर यह
बड़े Stationery computer से भी फाईल पढ़ सकते हैं। Laptop
Computer का सामान्यतः उपयोग Word Processing और Spread
Sheet की Computer करने में किया जाता है,
सामान्यतः इसका उपयोग जब कोई व्यक्ति सफर कर रहा हो तब भी बड़ी आसानी से असका प्रयोग किया जा सकता है।
2. Personal Computer (PCs):-
सर्वाधिक लोकप्रिय P.C. डेस्कटाप मशीन है। सबसे पहला PC Intel था जिसका 8088 CPU था अभी Intel 80486 बहुत प्रसिद्व प्रोसेसर है। IBM द्वारा बनाई गई मशीन PC कहलाती है, दुसरे Manufacturer IMB का उपयोग कर खुद के PC बनाते हैं। वह IBM के Compatible PC कहलाते हैं। IBM PC अधिकतर MS-DOS या MS-Windows, NT या UNIX आपरेटिंग सिस्टम का उपयोग करते है।
Oprating System की जगह Operating System 2 भी IBM PC में उपयोग किया जाता है । IBM में 16
से 32
MB की मेन मेमोरी होती है। 500 से 100 MB की डिस्क और एक फ्लोपी डिस्क होती है इसके अलावा मल्टीमीडिया के उपयोग के लिए 600 MB की आपटीकल डिस्क भी इन PC के साथ उपलब्ध कराई गई। Property था ये भी आपरेटिंग सिस्टम का उपयोग करते थे जो कि सरलता के लिए बनाए गये। Apple Machinetosh मशीन Motorola 68030 Micro processor का उपयोग करते थे, लेकिन अब Power PC 601 Processor पर Change हो गया। IBM PC आजकल के सबसे प्रसिद्ध
Computer है जो पूरे विश्व में उपयोग किये जाते हैं।
3. Workstations
:-
Workstations
भी Desktop मशीन है। जबकी
वह अत्यधिक तेज Processor
Speed, करीब PC की Speed से 10 गुना अधिक शक्तिशाली होते हैं। अधिकतर Workstation के पास बडा कलर Video Display Unit (19 Inch Monitor) होता है। इससे अधिकांश वर्क स्टेशन के हार्डवेयर जुड़े होते हैं,
जो Local Area Network को Connect करता
हैं। Workstation, Numeric और Graphic Intensive Application को Executive करने के लिए उपयोग किया जाता है, जैसे वह जो Computer aided Design के समय होती है।
4. Mainframe
Computer :-
बैंक और बीमा कंपनी यह संस्था है जो आन लाइ्रन बड़े-बड़े व्यापार करते हैं, उन्हे Computer की आवश्यकता होती है जो गीगा बाईट डेटा को डिस्क में स्टोर करे ओर डेटा को डिस्क से मेमोरी में कई 100 Megabyte/Sec transfer करें। ऐसे Computer के लिए लाख ट्रांजेकशन प्रति सेकेण्ड की Processing Power की आवश्यकता है। यह Computer workstation से काफी बडे होते हैं। और कई सौ गुना मंहगे होते हैं। इस तरह के Computer, Mainframe Computer कहलाते हैं।
GENERATION OF COMPUTER
Computer तकनीक में परिवर्तनों ने ही Computer पीढियों के विचारों को जन्म दिया। सर्वप्रथम Computer
Hardware तकनीक में परिवर्तन को जनरेशन से जोडा गया किंतु आजकल Computer की
Hardware
& Software तकनीक को Computer Generation में शामिल किया गया मुख्यतः यह विचारधार 1964 के पश्चात् प्रचलित हुई आज तक हुई Computer क्रांती को पांच प्रमुख जनरेशन में विभाजित किया जाता है जो इस प्रकार है:-
प्रथम पीड़ी (First Generation) |
1940
To 1956 |
Vacume
Tube |
द्धितीय पीड़ी (Second Generation) |
1956 To
1963 |
Transistors
|
तृतीय पीड़ी (Third Generation) |
1964 To
1971 |
I.C.(Integrated Circuit) |
चतुर्थ पीड़ी (Fourth Generation) |
1971-
Present |
Microprocessors |
पंचम पीड़ी (Fifth
Generation) |
Present
and Beyond |
Artificial
Intelligence |
First
Generation : (1940 - 1956)
यह युग 1940 से लेकर 1956 तक चला इस युग के Computer में Vacuum Tube का उपयोग किया गया जिससे यह Computer गणना करने में सक्षम रहा, परन्तु दैनिक जीवन में इसका उपयोग अधिक दिनों तक नहीं किया जा सका। इसमें प्रयोग होने वाली Vacume Tube बहुत नाजुक टयुब थी, जो इलेक्ट्रानिक संकेतों को नियंत्रित प्रसारित करने व बदलने का कार्य करती थी। इस समय में
Computer
Programming मशीनी भाषा में होती थी। 50 वें दशक के शुरू में।
Assembly भाषा आई। प्रारंभ में इसका प्रयोग विज्ञान और Engineering में हुआ। UNIVAC
Computer के आने के साथ ही Commercial Application की शुरूआत हुई। Opearting System का Concept अभी शामिल नहीं हुआ था।
Vocume Tube युक्त Computer ही First Generation के Computer कहलाते हैं। इसमे निम्नलिखित गुण हैं।
§ Characters :-
ð Vacume
tube उस समय उपलब्ध अकेले
Electronic Component थे।
ð Electronic
Digital Computer का अविष्कार Vacume Tube ने ही संभव बनाया । इस समय के तीव्र गति से गणना करने वाले अकेले यंत्र थे जो मिली सेकेण्ड में गणना कर सकते थे ।
§ Limitations
(सीमाऐं):-
1. आकार में बहुत बड़े थे ।
2. विश्वसनीय नहीं थे, अर्थात सत्यता को जाचने का कोई पैमाना नहीं था।
3. हजारों Vacume
Tube नियमित रूप से बडी मात्रा में गर्मी पैदा करती थी, जिसके कारण वातानुकुलित उपकरण (AC) की सख्त आवश्यकता थी।
4. Hardware
में टूट- फुट खराबी की संभावना ज्यादा थी।
5. नियमित देखभाल की आवश्यकता थी।
6. अवहनीय अर्थात आकार में बड़े होने के कारण एक स्थान से दुसरे स्थान पर ले जाना संभव नहीं था। मंहगे होने के कारण व्यावसायिक उत्पादन कम था।
Second Generation :
(1956 – 1964)
1956 में Bardeen,
Brattain और
द्वारा
के आविष्कार से इलेक्ट्रानिक में बडी क्रान्ति हुई । ट्रांजेस्टर जरमेनियम सेमीकान्डेक्टर मटेरियल के बने होते हैं, जो कि Vacume Tube से अधिक विश्वसनीय होते हैं क्योंकि इसमे जलने वाला फिलामेन्ट नहीं होता। यह कुछ ही माइक्रो सेकेण्ड में 0 से 1 पर स्विच होता हैं। जिसमें टुयूब को दस गुना समय लगता था। इसलिए कम्प्यूटर के लिए ट्रांजिस्टर (Transistor) से बना स्वीचिंग सरकिट टुयूब से करीब 10 गुना से अधिक सस्ता होता है। इसलिए कम्प्यूटर बनाने वाले टुयूब के स्थान पर ट्रंजिस्टर (Transistor) का प्रयोग करने लगे। Vacume tube का स्थान अब ट्रंसजिस्टर (Transistor) ने ले लिया यह छोटा सा यंत्र 1947 में खोज लिया गया था किंतु लंबे समय तक इसका उपयोग प्रचलित नहीं हो सका यही ट्रंजिस्टर (Transistor) Computer का दिमाग कहलाता है।
|
|
§ Characters :-
ð First
Generation से के अकार में छोटे थे।
ð Second
Generation के
Computer अधिक विश्वसनीय थे।
ð Second
Generation के Computer कम गर्मी पैदा करते थे।
ð Calculation करने में समय कम हो गया अतः Calculation
करने की Speed बढ़ गई।
ð Hardware
में के रखरखाव की समस्या में कमी हुई।
ð व्यावसायिक उत्पादन होने लगा।
§ Limitation
or Disadvantage :-
1. इनमे
भी वातानुकूलन उपकारड् आथार्त अर्थात AC आवश्यक था।
2. नियमित
देखरेख भी महगा व जटिल था।
3. व्यावसायिक उत्पादन अब भी मंहगा व जटिल था।
Third Generation (1964-1971):-
Third Generation में Second Generation की जगह Integrate
Circuit का उपयोग किया जाता है। Integrated Circuit वह Circuit होता है जो कि Transistor, Resistors और Capacitors की एक Single Silicon chip पर लगाया जा सके जो Component के बीच वायर के Interconnection को eliminate करता है। इसका प्रभाव यह पड़ा कि बहुत ही पावरफुल सी.पी.यू.
का आविष्कार हुआ जो कि
1 Million
instruction प्रति सेकेण्ड को carry करने की क्षमता रखता है।
यह Computer First Generation के Computer से 10000 गुना तेज हैं क्योंकि arithmetic
logic operating कुछ ही नेनो सेकेण्ड में Perform करता है।
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§ Advantages
:-
1. अन्य पिछले Computer
से आकार में छोटे थे।
2. सेकेण्ड जनरेशन के कम्प्युटर से अधिक विश्वसनीय थे।
3. कम गर्मी व उष्मा पैदा करते थे।
4. Calculation
time और कम हो गया।
5. देखरेख पर व्यय व टूटफुट कम हो गई, जिससे रखरखाव सस्ता हो गया।
6. ये आसानी से वहनीय थे, अर्थात इन्हें एक स्थान से दुसरे स्थान से दूसरे स्थान पर आसानी से ले जाया जा सकता था।
7. बड़ी मात्रा में व्यवसायिक उत्पादन प्रारंभ हो गया क्योंकि पहले की अपेक्षा काफी सस्ते थे।
8. उर्जा की आवष्यकता कम थी।
9. आकार छोटा एवं रखरखाव कम होने के कारण श्रम व समय की बचत संभव हो गई।
Forth Generation: (1971 - अब तक):-
Forth Generation के कम्प्यूटर में बहुत अधिक परिवर्तन हुआ इसमें Micro Processor का प्रयोग किया गया। इस जनरेशन के कम्प्यूटर में डेटा को फ्लापी डिस्क तथा हार्ड पर स्टोर किया जाने लगा तथा इसमें V.I. S.I.C. (Very large Scale Integrated circuits) का अविष्कार किया गया। इसमें सभी प्रकार की सुविधा एवं फ्लापी डिस्क, हार्ड डिस्क और कार्य करने की गति भी बढ गई।
Fifth Generation का सपना एक ऐसे कम्प्युटर का निर्माण करना है जो स्वंय विवेक से निर्णय ले सके जिसे शब्द आदि का ज्ञान होगा। इस प्रकार पांचवी पीढी के Computer सभी पिछले कम्प्युटर की अपेक्षा बिल्कुल अलग और नए होगें।
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